
उरई। कोरोना संकट के कारण लगातार खिच रहे लाॅकडाउन से कई घरों में खाने के लाले पड़ गये हैं। खासतौर से झारखंड से यहां आकर बसे कचरा बीनने वाले प्रवासियों की तरह के बाहरी मजदूर जिनका राशन पानी कब का खत्म हो चुका है। प्रशासन तो इनकी चिंता कर ही रहा है लेकिन इनकी तादात इतनी बड़ी है कि जब तक अन्य सामाजिक संस्थायें और लोग हाथ नहीं बंटायेंगे तब तक ऐसे सभी लोगों की भरण पोषण की समस्या हल होना मुश्किल है। बुन्देलखण्ड की जल संरक्षण के लिए चर्चित, नामी गिरामी सामाजिक संस्था परमार्थ ने इसको समझा और इसमें अपना योगदान करने के लिए जुट पड़ी। जिसमें उसे साथ मिला हिन्दुस्तान यूनीलीवर का। इस नेक कार्य में संस्था की पीठ थपथपाने के लिए न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारी भी आगे आ गये।
परमार्थ समाज सेवी संस्थान द्वारा हिन्दुस्तान यूनीलीवर के सहयोग से जिले के विभिन्न भागों में अभावग्रस्त परिवारों को चिहिंत कर उनके घर रसद और सेनिटाइजेशन की सामग्री पहुंचायी जा रही है। माधौगढ़ और रामपुरा ब्लाक के 500 ऐसे चिहिंत परिवारों को संस्था के कार्यकर्ताओं ने उनके दरवाजे पर सरकारी प्रतिनिधि की उपस्थिति में सामग्री पहुंचायी। उरई तहसील के रेवा, सरसौखी, रगौली व राहिया में भी लगभग 150 परिवारों को सामग्री वितरित की गई। एक परिवार को जो सामग्री दी जा रही है उसमें पांच किलो आटा, पांच किलो चावल, एक किलो दाल, एक लीटर सरसों का तेल, हल्दी, धनिया और अन्य मिर्च मसाले, एक नमक का पैकिट, 250 ग्राम चाय पत्ती, एक किलो चीनी, पांच रिन साबुन व पांच नहाने के साबुन शामिल रहते हैं। कार्यकर्ता अभिवादन की मुद्रा में उन्हें वितरण करके जताते हैं कि यह मदद देकर संस्था स्वयं धन्य हो रही है ताकि किसी में हीन भावना का संचार न हो। साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ-साथ दिये गये साबुन का कई बार हाथ धोने में प्रयोग करने की नसीहत देते हैं।
शहर में भी यह अभियान चल रहा है। शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेक कुमार सिंह और तहसीलदार कर्मवीर सिंह ने संस्था के कार्यकर्ताओं के साथ रहकर वितरण किया। इस दौरान लेखपाल दिग्विजय और न्यायिक कार्मिक अश्वनी मिश्रा भी मौजूद रहे।






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