उरई। अपने देस पहुंचने की व्याकुलता के आगे हर मुसीबत बौनी हो जाती है। जो लोग मनोविज्ञान की नब्ज को पहचानते हैं उन्हें तमाम आश्वासन के बावजूद मजदूरों के पैदल घर के लिए निकल पड़ने के पागलपन में कोई अजूबा नहीं दिखाई देता। रविवार की भौर कालपी में गुजरात से पैदल आ रहे 17 प्रवासी श्रमिकों के जत्थे को प्रशासन ने जब रोका तो उनका जीवट देखकर अधिकारी दंग रह गये।
जोल्हूपुर मोड़ पर खड़े इन श्रमिको को कालपी के उपजिलाधिकारी कोशल किशोर ने रिसीव किया। मजदूरों ने बताया कि वे लोग गुजरात से ट्रक पर बैठकर आ रहे थे। रात में उन्हें आटा के समीप ट्रक के ड्राइवर ने जबरन नीचे उतार दिया। वे लोग इतने अधीर थे कि उन्होंने किसी और साधन के आने की परवाह नहीं की और रात में ही पैदल कूच कर दिये।
जब तक प्रशासन को सूचना मिली मजदूर जोल्हूपुर मोड़ पर पहुंच चुके थे। एसडीएम ने वहां पहुंचकर उनकी कुशल क्षेम पूंछी और रोडवेज बस का इंतजाम उन्हें हमीरपुर अपने घर पहुंचाने के लिए किया। इस बीच उन्होंने मजदूरों से लाॅकडाउन में गुजरे उनके दिनों के बारे में पूंछा जो अपने आप में लम्बी दुखद दास्तान थी। एसडीएम और अन्य अधिकारी उनकी करूण कथा सुनकर द्रवित हो गये।

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