समाजसेवियों का प्रयास जनपद की सीमा से भूखा न निकले कोई भी प्रवासी मजदूर
पूर्व पालिकाध्यक्ष और अब्दुल जलील की टीम कर रही काम
उरई। कोरोना के इस दौर में लोग भूखे न सोएं इसके लिए सरकार से लेकर नागरिक तक अपने अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। कोई राशन दे रहा है तो कोई मास्क और दवा बांट रहा है। देश में 25 मार्च को तालाबंदी लागू होने के अगले दिन से हजारों की संख्या में अन्य प्रदेशों से प्रवासी मजदूर अपने गांव और कस्बों की ओर लौटने लगे। कई दिहाड़ी मजदूर पैदल ही अपने गांव जाने के लिए निकल पड़े। दिहाड़ी मजदूरों के पास जब काम नहीं रहा तो वे घरों की तरफ लौटने लगे। उरई के रहने वाले अब्दुल जलील और पूर्व पालिकाध्यक्ष विजय चौधरी, शबाब हुसैन व सरताज ने जब प्रवासी मजदूरों की दशा देखी तो तो उनका दिल पसीज गया।
उरई नगर स्थित अपने कार्यालय में यह बात पत्रकारों को बताई की उन्होंने खुद से सूखा राशन खरीद एक कम्युनिटी किचन तैयार की जहां हर रोज हजारों प्रवासियों के लिए भोजन तैयार करवाया। उन्होंने कहा कि हम लोग पहले भी लोगों की मदद करते थे लेकिन जब हमने प्रवासी मजदूरों के सामने खाने के संकट के बारे में जाना तो हमको लगा कि कुछ करना चाहिए तभी सबने प्रण लिया और सहयोग करके राशन खरीदा ,पानी की बोतलें, खील दाने का भंडार, बच्चों के लिए दूध का इंतजाम किया और दूसरी बार लोगों की मदद के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लिया और अपने दोस्तों से भी अपील की कि वह भी कुछ सहयोग करें। इसी प्रकार लोगों की मदद का करवां बनता गया और जिला प्रशासन ने भी मदद की। इस नेक कार्य मे हमारे साथ कैलाश प्रजापति, पिंकू बुंदेलखंड, आशीष जायसवाल, मनीष उर्वशी, प्रभात तिवारी, डा. संजय गुप्ता, डा. अंजना गुप्ता, सादाब, कृष्णमोहन, हरीभाई बलसाड़ ने प्रमुख रूप से सहयोग दिया।

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