
कालपी। हर साल जेठ की अमावस्या को भारतीय महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। आज नगर सहित पूरे क्षेत्र में लाक डाउन के चलते अपनी सुविधानुसार पूजा अर्चन करते हुए पति की लंबी आयु की कामना की।
पौराणिक प्रमाणित और प्रचलित कथा के अनुसार पतिव्रता स्त्री सावित्री ने यह जानती थी कि वह जिससे विवाह कर रही है उनकी अल्प आयु है। जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उनका उत्तर था कि भारतीय नारी एक बार जिसको पति मान लेती है उसी से विवाह करती है और उन्होंने सत्यवान को ही अपना पति मान लिया है। समय बीता तो विधि के अनुसार सत्यवान की मृत्यु हो गई। सावित्री अपने पति के सिर को गोद में रखे एक वट वृक्ष के नीचे बैठी थी। उसी समय यमराज अपने यमदूतों के साथ आए और सत्यवान के प्राण लेकर चल दिए। कुछ दूर चलने के बाद जब यमराज ने देखा कि सावित्री भी पीछे पीछे आ रही थी। यमराज ने कहा पृथ्वी पर तुम्हारा पति के साथ इतना ही समय था। तुम वापस लौट जाओ मगर सावित्री नहीं लौटी और कहा वह वहां रहेंगी जहां उनके पति रहेंगे। ये भारतीय नारी का कर्तव्य है जिस पर यमराज ने कहा ठीक है तुम मुझसे तीन वर मांग लो और वापस चली जाओ। सावित्री ने पहले वर में अपने अंधे सांस ससुर की आंखों की ज्योति मांगी। दूसरे वर में अपने ससुर का खोया हुआ राज्य मांगा और तीसरे वर में सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान मांगा। इस पर यमराज ने कहा तथास्तु। सावित्री को सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान देने से यमराज को उनके पति के प्राण लौटाने पड़े और सावित्री वापस उसी वट वृक्ष के नीचे आ गई जहां कुछ देर बाद ही उनके पति जीवित हो गए तभी से सभी सुहागिन भारतीय स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करने लगी जिसके अनुसार महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष (बरगद) की विधिविधान से पूजा करती हैं तथा शरबत खरबूजा अर्पित कर वृक्ष में कच्चे धागे को लपेटते हुए परिक्रम कर अपने सुहाग को अमर करने का वरदान मांगती हैं। आज नगर कालपी सहित क्षेत्र में सुबह से ही उक्त पूजा प्रारंभ हो गई। सजीधजी सुहागिन महिलाएं हाथ में जल एवं पूजा की थाली लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंचने लगी। वहीं लाक डाउन ने इस पूजा में भी अपना असर दिखाया जिसके चलते अधिकतर महिलाओं ने वट वृक्ष की डाल मंगाकर घर में ही सारी औपचारिकताएं पूरी कर व्रत संपन्न किया।






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