
चाइना माल की बिक्री से चौपट हुआ था मिट्टी के बर्तन बनाने का पुस्तैनी धंधा
अब लाक डाउन में परदेश की मजदूरी भी हुई ठप
कदौरा। कोरोना संक्रमण के चलते रोजीरोटी के लिए घर गांव छोडक़र परदेश में रहकर अपने बच्चों व घर का पालन पोषण करने वाले हजारों की तादात में मजदूर परिवार लाक डाउन में घर तो लौट आए लेकिन फिर मेहनत मजदूरी की समस्या उक्त परिवारों को चिंतित रहने पर मजबूर कर रही है। वहीं ऐसे मजदूर परिवार से मिली टीम ने उनका हाल जानना चाहा तो परिजन मजबूर दिखे।
ज्ञातव्य हो कि लाक डाउन लगने के बाद विकास खंड क्षेत्र में हजारों प्रवासी परिवार मजबूरीवश घरों में आकर ठहर गए हैं जिनके पास अब कोई रोजगार नहीं बचा। टीम सर्वे के मुताबिक कदौरा नगर निवासी आशा पत्नी गयाप्रसाद का परिवार बेटे रामविशाल, महेंद्र, अरविंद, बहू व नाती आदि लोग काफी समय से सूरत की एक फैक्ट्री में मजदूरी कार्य करते हुए अपना घर संचालन करते रहे। कोरोना संक्रमण बचाव को लेकर लाक डाउन में उक्त कंपनी मैनेजर द्वारा समूचे परिवार को कंपनी बंद होने पर घर भेज दिया गया जो कि क्वारंटीन होने के बाद अब चिंतित हैं कि अब रोजीरोटी कैसे चले। मुखिया गया द्वारा कहा गया कि पूर्व में हम सब मिट्टी के बर्तन बनाकर ही उन्हें बेचते थे जिससे घर का गुजारा होता था लेकिन चकाचौंध के दौर में चाइना माल बाजार में आने के कारण अब मिट्टी के बर्तन भी नहीं बिकते जिससे घर चलाना उक्त पुस्तैनी पेशे की दम पर बेहद मुश्किल है जिससे लाक डाउन में यदि साधन चले व कंपनी मालिक द्वारा एडवांस देकर बुलाया गया तो हम सब मजदूर वापस सूरत चले जाएंगे क्योंकि कोरोना के डर से घर बैठेंगे तो घर का खर्च कैसे चलेगा। फिलहाल नगर के अलावा भी बबीना, परौसा, कुसमरा, चंदरसी, बड़ागांव, पथरेहटा, सूजनपुर, कुसमरा आदि क्षेत्रीय गांवों के सैकड़ों मजदूरों में काफी बेरोजगारी होने के कारण लाक डाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं।






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