माधौगढ़। वैसे तो कोरोना ने आम इंसान को एहसास करा दिया कि इंसानियत और मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। इंसान का अहंकार, इंसान की ताकत कोरोना से लडऩे में असमर्थ साबित हुए जिसका कुछ लोगों को एहसास हुआ तो कुछ अभी भी अपनी झूठी शान बनाने में लगे हुए हैं। ऐसे में समाज के कुछ लोगों को नई प्रेरणा मिली जिसके चलते उन्होंने समाज में सहृदयता और नेकी की इबारत लिख दी।
रामपुरा में दस दिन पहले सरकारी टैग लगी हुई गाय मरणासन्न हालत में संकट मोचन मंदिर पर पड़ी हुई थी जिस पर समाजसेवी इंद्रभान राठौर की नजर पड़ गई। उन्होंने उस गाय को विकास खंड परिसर में पेड़ के नीचे छोटा सा आशियाना बनाकर रख लिया। गाय के सिर में गहरे घाव और कीड़ों को अपने हाथों से साफ कर उस गाय को नया जीवन देने में लग गए। नतीजा यह हुआ कि उनकी खुशामद से गाय पूरी तरह स्वस्थ हो गई और चलने फिरने लगी। कुछ ही दिनों गाय अपने गर्भ से एक बच्चे को जन्म भी देगी। निश्चित तौर पर यह कार्य मानवता का असली धर्म साबित होगा जबकि हजारों रुपया इन गौवंशों के लिए सरकार की ओर से आ रहा है जिसका कहीं अता पता नहीं और समाज के एेसे लोग दिन रात सेवा कर इन लावारिस बेजुबानों को नया जीवन देने में जुटे हुए हैं।

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