उरई। उप्र के बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों में सृजनशीलता के विकास के लिए अनूठी आयोजना की। इसके तहत राज्य के चुने हुए कवि शिक्षकों की आनलाइन काव्य गोष्ठी आयेाजित कराई गई, जिसको नाम दिया गया ‘परवाज‘़। जालौन जिले के लिए यह काव्य गोष्ठी गौरव का अवसर बन गई क्योंकि जिले के एक कवि शिक्षक को इसमें रचना पाठ करने का अवसर मिला।
आपदा को अवसर में बदलते हुए उप्र के बेसिक शिक्षा निदेशक डा सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने सहायक निदेशक अब्दुल मुबीन के सहयोग से इस सुपर हिट आयोजना का खाका खीचा। प्रदेश भर से चयनित 30 कवियों ने इसमें काव्य की रसधारा बहाई।
जालौन जनपद के लिए यह आयोजना इसलिए उल्लेखनीय रही कि इसके लिए चयनित दुर्लभ कवियों में एक नाम उरई निवासी शिक्षक राज कुमार शर्मा ‘राज‘ का भी रहा। राज की छात्र जीवन से ही लेखन में रुचि रही है। अपने मित्रों के बीच अपनी कविताओं के कारण वे हमेशा से लोकप्रिय रहे, हालांकि नौकरी की व्यस्तता ने उन्हें पेशेवर कवि नहीं बनने दिया। पर अब जब विभाग ने उन्हें मौका दिया तो उनकी सृजन कला का निखार दंग कर देने वाले रूप में सामने आया।
उन्होंने प्रकृति का सजीव चित्रण करती हुई अपनी रचना प्रकृति सुन्दरी का पाठ किया। ‘‘बात एक सांझ की है जो न बिसराई जाय, सिहरात पवन चलत बदरा छाए कारे हैं‘‘ यूट्यूब और फेसबुक पर चल रहे लाइव प्रसारण के दौरान भ्रांतिमान के अनूठे प्रभाव से सजी इस कविता को काफी सराहा गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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