
उड़ीसा के मूल निवासी उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एसएन सावत की गिनती प्रदेश के सितारे अफसरों में होती है। उन्होंने प्रदेश के कई बड़े जिलों, रेंज और जोन की कमान सफलता पूर्वक संभाली है। लम्बे समय तक उन्होंने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में भी सेवायें दी। पुलिस भर्ती बोर्ड में भी रहे। लखनऊ जोन मंे पदस्थ होने के पहले श्री सावत इलाहाबाद जोन के एडीजी थे। इस तरह उन्हें पुलिसिंग का बहुआयामी अनुभव है। इसके साथ-साथ उन्होंने पुलिसिंग और मानवाधिकार जैसे विषयों पर पुस्तकें भी लिखी हैं। विभिन्न पदकों से भी सम्मानित हो चुके हैं। गत दिनों समय चक्र टाइम्स से बातचीत में उन्होंने बताया कि किस तरह लाॅकडाउन के दौरान पुलिस को नई तरह की भूमिका निभानी पड़ी। जिसमें हर चुनौती के लिए अपने को ढ़ालने की क्षमता के मामले में ख्याति प्राप्त उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया। कोरोना से बचाव के सबसे प्राथमिक तरीका मास्क पहनकर लोगों को बाहर निकलने के लिए तैयार करना है जिसका समाज अभ्यस्त नहीं है। पुलिस को इसमें बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लखनऊ जोन की बात करें तो पुलिस ने 02 लाख 65 हजार लोगों पर कार्रवाई की जो मास्क नहीं पहने थे। प्रस्तुत है उनसे वार्ता का सार संक्षेप-
प्रश्न- लाॅकडाउन के दौरान सबसे बड़ी चुनौतियां पुलिस के लिए क्या रही।
श्री सावत- यह कोविड-19 के संक्रमण का समय था जो अभी भी चल रहा है। इस दौरान पुलिस को जनसेवी भूमिका में उतरना पड़ा जो एक नई किस्म की चुनौती थी। सबसे बड़ी चुनौती थी जो लोग बाहर से लौटे थे उनको खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराना और सकुशल उनके निवास स्थान तक पहुंचाना। जहां पर एकांतवास के लिए स्थान बनाया गया था वहां पर कैसी व्यवस्था रखनी है। पुलिस ने इन जिम्मेदारियों के बावत सकारात्मक भूमिका निभाई। सामाजिक संस्थाओं और जनता ने भी खूब सहयोग किया।
प्रश्न- कोरोना जैसी महामारी का पहले कोई अनुभव नहीं था। लोगों में जागरूकता से ही इसका बचाव संभव है। पुलिस को इसमें किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
श्री सावत- वाकई में पुलिस के लिए यह एक नया काम था। लोगों को समझाना कि घर के अंदर और परिवार के सदस्यों के साथ भी शारीरिक दूरी का पालन करें। सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें। सभी व्यक्ति मास्क पहनकर ही और तभी घर से निकले जब बहुत जरूरी काम हो। इस जागरूकता के लिए बहुत धैर्य और परिश्रम की जरूरत पड़ी लेकिन पुलिस ने यह बोझा हंसते-हंसते उठाया।
प्रश्न- दूसरे राज्यों से घर लौटने वाले मजदूरों को सहेजना कितना कठिन रहा।
श्री सावत- एक समय ऐसा आया जब मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहे थे उनको सकुशल सोशल डिस्टेसिंग बनाये रखते हुए गंतव्य तक पहुंचाना फिर मेडिकल चेकअप कराना और जरूरत होने पर सकुशल अस्पताल पहुंचाना सचमुच एक बड़ा काम था। पूरे प्रदेश में इसके लिए 07 हजार से अधिक निगरानी समितियां बनी जो गांव-गांव में और प्रत्येक वार्ड में कार्यरत रही। रात्रि कफ्र्यू के दौरान मुख्य मार्गो में से निकलने वाली गाड़ियों में पूंछतांछ कर तलाशी ली गई और मालूम किया गया कि वे क्यों जा रही हैं। जोनल कार्यालय में जो काॅल आयी उसे संवदेनशीलता से अटेंड किया गया और हमारी टीम ने संबंधितों की पूरी मदद की।
प्रश्न- सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे नव युवकों और युवतियों को पत्रिका के माध्यम से आप क्या संदेश देना चाहेंगे।
श्री सावत- सबसे पहले उनको शुभकामनायें दूंगा। साथ-साथ में यह कहना चाहूंगा कि कोरोना काल के बावजूद पढ़ाई बिल्कुल न छोड़े। मन में सकारात्मक सोच होनी चाहिए निश्चित ही आप सफल होंगे।






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