
टूट कर गिरता मलबा, बनी रहती हादसे की आशंका
एसडीएम के निर्देश पर पालिका प्रशासन द्वारा किया गया सर्वे
कालपी। कालपी के मुख्य बाजार टरननगंज में करीब सवा सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजों द्वारा बनवाए गए गेटों की हालत जर्जर हो जाने की वजह से उक्त दरवाजे टूट टूट कर गिरने के कारण कभी भी किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं मामले को गंभीरता से लेते हुए उपजिलाधिकारी कालपी के निर्देश पर उक्त दरवाजे का पालिका प्रशासन द्वारा सर्वे किया गया।
बुंदेलखंड के प्रवेश द्वार अंग्रेजी शासनकाल की कमिश्नरी कालपी नगर में अंग्रेजों के शासनकाल में करीब सवा सौ वर्ष के पूर्व जो बाजार लगता था वह कालपी की पुरानी बस्ती जिसे बड़ा बाजार व सदर बाजार कहा जाता वहां लगता था। सन् 1880 से 85 के बीच टर्नर नाम के अंग्रेज ने कालपी का बाजार बस्ती से हटाकर बस्ती से बाहर बनवाया। इस बाजार की सुरक्षा हेतु बाजार के चारों मार्गों पर चार बड़े बड़े गेट लगाकर बाजार को चारों तरफ से बंद करके सुरक्षित कराया गया था। करीब सवा सौ वर्ष पुराने इन गेटों की हालत जर्जर होती गई। यहां तक कि बाजार के दो गेट कदौरा फाटक, इलाहाबाद बैंक फाटक दसियों वर्ष पूर्व टूट कर धराशाही हो गए तथा जमींदोज हो गए। अब केवल दो फाटक बाजार में शेष बचे हुए हैं जिनमें एक को मेन फाटक तथा दूसरे को उरई फाटक के नाम से जाना जाता है। इन दोनों फाटकों की दशा भी अब इतनी जर्जर हो चुकी है कि इनका मलवा आए दिन टूट टूट कर गिर रहा है। एेसा ही शुक्रवार को उरई फाटक पर बड़ा हादसा होते होते बचा। उरई फाटक की छत दूसरे मंजिल की शुक्रवार को भरभरा कर गिर गई। यह घटना रात्रि के समय की होने के कारण बड़ा हादसा होने से बच गया। इस फाटक से आए दिन बड़े बडे टीले गिरते रहते हैं जिनसे किसी भी दिन कोई दुर्घटना हो सकती है। मामला चूंकि जनहानि से जुड़ा होने के कारण उपजिलाधिकारी कौशल कुमार के निर्देश पर पालिका प्रशासन ने देर शाम उक्त दरवाजे का सर्वे कर रिर्पोट तैयार कर पालिका प्रशासन को सौंपने की बात कही।






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