
उरई। तहसील प्रशासन ने बगैर नोटिस जारी किए ही जमीन मालिक के मकान को जेसीबी से तहस नहस कर डाला। उक्त आरोप समाजसेवी जलील मंसूरी ने लगाते हुए बताया कि वर्ष 2006 में खरीदी गई आराजी के मालिक एवं वर्ष 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी रामगणेश के समय आराजी की माप की गई थी एवं लेखपालों की टीम एवं तहसीलदार के द्वारा मौके पर कब्जा दिलवाया गया था।
उन्होंने बताया कि कब्जा दी गई आराजी पर बाउंड्रीवाल बनाकर निर्माण किया गया एवं कुछ जरूरतमंदों को मकान हेतु प्लाट दिए गए। एक षड्यंत्र के तहत कुछ अधिकारियों ने आराजी नंबर 512 के मालिक अब्दुल जलील जो मौके पर काबिज हैं जिनकी आराजी द्वारा हदबंदी 2014 को शासन द्वारा नाप करके दी गई थी आराजी नंबर 303 एवं आराजी नंबर 304 अंदर हद नगर पालिका परिषद उरई के मालिक के द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिया जाता है जिसमें कहा जाता है कि नाले की जमीन पर अतिक्रमण किया गया और अधिकारीगणों को गुमराह किया जाता है। आनन फानन बिना कोई नोटिस जारी किए आराजी नंबर 512 के मौके पर प्रशासन के कुछ अधिकारी पहुंचते हैं और आराजी में खड़े हुए मकानों को भी तोडफ़ोड़ कर डाली। आराजी के बीच से नाले की रेखाएं तैयार कर देते हैं। नाला आराजी नंबर 512 के नजदीक से बनाया जाता है और इस नाले के बनने से जो अतिरिक्त जमीन निकलती है वह जमीन आराजी नंबर 303 आराजी नंबर 304 है जिसका मालिक प्रार्थना पत्र देने वाला व्यक्ति है। यह पूरी कार्रवाई बड़े शीघ्र तरीके से की जाती है। इसमें कोई अग्रिम सूचना नहीं दी जाती है आराजी नंबर 512 के मालिक जब अपना पक्ष शासन के समक्ष रखते हैं तो शासन को सच्चाई का पता चलता है और यह पक्ष रखते हैं ki 304, 303 आराजी के मालिक को शासन के कुछ अधिकारियों के द्वारा अत्यधिक लाभ देने की कोशिश की जा रही है। मामले का संज्ञान कमिश्नर झांसी ने लिया एवं न्यायालय सिविल जज जूनियर डिविजन उरई में वाद दायर किया गया जिसमें भी अधिकार गणों को नोटिस प्राप्त हो चुका है लेकिन अभी तक किसी प्रकार का कोई भी जवाब न्यायालय में दाखिल नहीं किया गया और न ही कोई आख्या मंडलायुक्त तक पहुंची है। समाजसेवी जलील मंसूरी ने बताया कि उक्त अधिकारियों के विरुद्ध मंडलायुक्त को भी उनकी कारगुजारी का लेखाजोखा सौंपा गया है। ।






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