उरई।
पिता का साया असमय सिर से उठ जाने के बावजूद उसकी प्रतिभा इस झटके में कुन्द न हो सकी। उसने पढ़ाई में पूरी मेहनत की और मौका आने पर कैरियर बनाने के लिए लगन से तैयारी की। आज उसे इसकी कीमत बडी मंजिल हासिल होने के रूप में मिली है।
यह कहानी है रोहन चैरसिया की। रोहन चैरसिया के पिता सबल सिंह जिला मुख्यालय के समीप गढर गांव के साधारण किसान थे। जो असमय चल बसे। आमतौर पर बच्चे ऐसे आघात को झेल नहीं पाते और उनकी प्रतिभा की भ्रूण हत्या हो जाती है। लेकिन रोहन के बचपन को उसके भूमि संरक्षण निरीक्षक पद से सेवा निवृत्त दादा छोटेलाल चैरसिया के सम्बल ने संभाल लिया। जिससे उसका भविष्य बेपटरी नहीं हो पाया। दादा ने रोहन और उसके अन्य भाई बहनों की पूरी जिम्मेदारी से परवरिश की। उसकी बहिन अंजली एमटेक कर चुकी है। जबकि भाई अनुभव बी0सी0ए0 कर रहा है। रोहन की प्रारम्भिक शिक्षा पंडित दीनदया उपध्याय पब्लिक स्कूल से हुयी। इसके बाद उसने इण्टर बृजकुंवर देवी एल्ड्रिच पब्लिक स्कूल से किया। जहां उसे गुरूचनों के अलावा प्रबन्धक अजय इटौरिया से भावी जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी मार्गदर्शन मिला। उनकी प्रेरणा से उसने अपने दादा के उसे साहब बनाने के सपने के पूरा करने के लिए व्यवस्थित ढ़ंग से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की। नतीजा यह है कि इसके कारण राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उसने पुलिस उपाधीक्षक पद के लिए चयनित होने की सफलता पायी है। इससे न केवल उसके घर परिवार बल्कि पूरे गढ़र गांव में जश्न का माहौल छा गया। सबसे ज्यादा खुशी उसके मार्गदर्शक एल्ड्रिच पब्लिक स्कूल के प्रबन्धक इंजिनियर अजय इटौरिया को हुयी। उन्होंने रोहन को उसकी सफलता पर माला पहनाकर और उसे मिठाई खिलाकर उसका अभिनन्दन किया। रोहन ने भी उनके आर्शीवाद को अमूल्य बताते हुए भविष्य में भी तरक्की के लिए इसकी आवश्यकता बतायी।







Leave a comment