माधौगढ़-
विकासखंड माधौगढ़ के ग्राम पंचायत असहना में फर्जीवाड़े की इंतेहा हो गई। उच्च अधिकारियों को लगातार शिकायत होने के बाद भी भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। फर्जी तरीके से भुगतान कराने की फिर से जुगत लगाई जा रही है। इससे यह साबित होता है कि भ्रष्टाचार में स्थानीय कर्मचारी से लेकर जिला स्तर तक के जिम्मेदार शामिल होते हैं। यही कारण है की भ्रष्ट प्रधान और जिम्मेदार कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है।
मामला ग्राम पंचायत असहना का है,जहाँ ग्राम प्रधान सोना देवी ने फर्जी कार्य की जो पहले से ही विवादित और जांच के दायरे में है,उसकी आई डी बनाकर फिर से भुगतान की जुगाड़ बना ली है।
8 मार्च 2022 को गांव में बिना स्टीमेट और वित्तीय स्वीकृति के मनरेगा से तीन आई डी क्रमांक 8952,8954 और 8955 पर इंटरलॉकिंग निर्माण करा दिया गया। जिसकी शिक़ायत हुई तो भुगतान पर रोक लगा दी गई। लेकिन तत्कालीन सचिव शैलेश सोनकर और ग्राम प्रधान सोना देवी ने फ़र्जी तरीके से जून 2022 में फर्जी तरीके से कराए गए कार्यों का ग्राम निधि से 2 लाख रूपये से ज्यादा का भुगतान कर लिया। जिसकी शिक़ायत हुई तो भ्रष्टाचार में शामिल प्रधान सचिव के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि लगातार शिकायतें जिलाधिकारी, सीडीओ और जिला पंचायत राज अधिकारी को की गई। अब फिर से 20/04/2023 को प्रधान द्वारा फर्जी तरीके से कराए गए कार्यों के रुके भुगतान के लिए नाम बदलकर दो आई डी 3547 और 3548 क्रमशः दुर्गा मंदिर से ऊदल सिंह के घर तक और भगवान सिंह के मकान से हैडपम्प तक बनवा ली। जिनको दिखाकर फर्जी तरीके से डाली गई इंटरलॉकिंग का अवशेष भुगतान कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।
आरटीआई से खुला मामला
विना वित्तीय स्वीकृति और बिना स्टीमेट के डलवाई गयी इंटरलॉकिंग की जब आरटीआई से जानकारी मांगी गई तो फर्जी कागजातों की हकीकत सामने आ गयी,कार्य आदेश से लेकर पूरी टेंडर प्रक्रिया फर्जी निकली। शिकायतकर्ता ने फर्जी टेंडर प्रक्रिया के सभी डॉक्युमेंट के साथ जिलाधिकारी को शिकायत की लेकिन मामला दबा दिया गया। जांच कमेटी ने अभी तक स्थलीय जांच नहीं की।
ग्राम पंचायत की और भी चल रही जांचे,दोषी सभी में, कार्यवाही किसी पर नहीं
ग्राम पंचायत असहना में पंचायत मित्र रामकरन पाल,जोकि ग्राम प्रधान सोना देवी के जेठ हैं,की मनरेगा में फर्जी तरीके से जॉब कार्ड भरने,उनका पैसा निकालने में दोष साबित हो चुका है लेकिन विभाग द्वारा अभी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई। ऐसे ही प्रधान के जेठ द्वारा गलत तरीके से आवास लिया गया,उसमें भी दोषी होने के बाद कोई कार्यवाही नहीं हुई। इससे लगता है कि खंड विकास स्तर से लेकर जिला स्तर तक अधिकारी संलिप्त हैं।







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