उरई।
शक्तिशाली अधिवक्ता कुल यानी बार संघ के पदाधिकारियों का समाज और प्रशासन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसके अध्यक्ष आदि बड़े शक्ति केन्द्र मेें शुमार किये जाते हैं। न्यायिक अधिकारियों में उनकी धाक साफ साफ दिखती है। इसके चलते प्रत्येक वर्ष बार संघ के चुनाव की रोमांचकता बढ़ती जाती है। इस वर्ष के चुनावी संघर्ष का घमासान सर्वाधिक तेज है। बार संघ की वोटर लिस्ट में 1397 अधिवक्ता मतदाता के तौर पर पंजीबद्ध हैं। 27 जुलाई को इसके लिये मतदान होगा और मतगणना भी इसी दिन संपन्न करा ली जायेगी।
अध्यक्ष पद के लिये वैसे त्रिकोणीय मुकाबला है जिसके तहत गिरीश श्रीवास्तव, राजेश सक्सेना और सुधीर मिश्रा एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने का प्रयास कर रहे हैं। प्रत्याशियों ने प्रमुख स्थानों पर बड़े बड़े होडिंग्स लगवा दिये हैं। न्यायालय के समय में बात चाहे कलेक्ट्रेट की हो या जजी की दोनों जगह माहौल चुनावी गहमागहमी में डूबा रहता है। विभिन्न पदों के प्रत्याशी प्रत्येक दिन हर बस्ते पर जाकर मत याचना करते नजर आते हैं। प्रत्याशियों के अलावा अन्य वकीलों के बीच भी चुनावी जीत हार को लेकर कयासबाजी होती रहती है।
अध्यक्ष पद पर राजेश सक्सेना दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें सहानुभूति के आधार पर इस बार सफलता मिलने की उम्मीद है लेकिन सबसे व्यवस्थित चुनाव गिरीश श्रीवास्तव का नजर आता है जिनके साथ कई सीनियर अधिवक्ता भी अपनी प्रतिष्ठा दाव पर लगाते हुये प्रचार में जुटे हुये हैं। फिलहाल की स्थिति में तो गिरीश श्रीवास्तव का ही पलड़ा भारी नजर आ रहा है। लेकिन मतदान के बाद क्या तस्वीर सामने आती है इसके लिये 27 जुलाई का इंतजार करना पड़ेगा।
बार संघ के दूसरे महत्वपूर्ण पद महासचिव के लिये आलोक दीक्षित, ज्ञानेन्द्र राजावत और केके शर्मा के बीच संघर्ष है जबकि कोषाध्यक्ष पद पर इंद्रपाल सिंह राजपूत और संजीव तिवारी सीटू के बीच चुनाव है। इनमें सीटू अभी ऊपरी तौर पर बढ़त बनाये हुये हैं। कनिष्ठ उपाध्यक्ष व कलेक्टेªट प्रभारी के पद पर आमने सामने का मुकाबला है। कनिष्ठ उपाध्यक्ष पर धु्रव प्रताप सिंह और सौरभ सोनी और कलेक्ट्रेट प्रभारी पर रामप्रकाश पाल और इंद्रजीत सिंह आईजे उम्मीदवार हैं। उल्लेखनीय यह है कि अधिवक्ता गरिमा के साथ चुनाव लड़ रहे हैं और इसलिये स्वस्थ ढंग से चुनावी प्रचार किया जा रहा है। उम्मीदवारों के बीच कहीं कोई टकराव की नौबत नहीं देखी जा रही है।







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