उरई।
आटा थाना क्षेत्र में 11 जुलाई को हुये गोली कांड का जब पर्दाफाश हुआ तो पूरी सनसनी का पटाक्षेप हो गया। दरअसल कथित गोली कांड के शिकार और उसकी पत्नी व उसके कथित प्रेमी ने अपने ही रिश्तेदार को फसाने के लिये यह कहानी बुनी थी। थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह चैहान ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके षड़यंत्र में चंदरसी का एक और शख्स शामिल रहा जिसकी गिरफ्तारी अभी नहीं हो पायी है।
11 जुलाई को अनीता नाम की महिला ने रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि उसके पति वीरेन्द्र निवासी हरचंदपुर थाना कदौरा जनपद जालौन हाल निवास सपा कार्यालय के पास पटेल नगर उरई को संदी से आते समय विजय निवासी हरचंदपुर ने जान से मारने की नीयत से गोली मार दी जो उनके सिर में लग गयी है। इस घटना के कारण पुलिस में हलचल मच गयी। एसपी इरज राजा ने थानाध्यक्ष आटा अर्जुन सिंह को इसकी पड़ताल सौंपकर कहा कि अगर घटना सही है तो अभियुक्त पर कड़ी कार्रवाई की जाये। अर्जुन सिंह जब इसमें जुटे तो सर चकरा देने वाली पेचीदगियां सामने आयीं। मुख्य विवाद भरूआ सुमेरपुर का है जो कि वीरेन्द्र और विजय दोनों की ससुराल है। उनकी सास को जमीन फैक्ट्री एरिया में अधिग्रहीत हो जाने से मुआवजा मिला था जिसमें सास ने मुआवजे के अलावा अपनी लड़कियों को भी कुछ रकम बांटी थी। इसके बावजूद वीरेन्द्र का साढ़ू विजय लगातार अपनी सास को फुसलाकर अलग से रकम झटक रहा था। वीरेन्द्र की पत्नी अनीता को यह बुरा लगा और उसने भरूआ सुमेरपुर जाकर विजय से इस पर झगड़ा किया तो विजय ने उसे गालियां दीं और गोली मार देने की धमकी देने लगा। नाराज होकर अनीता अपनी मां की पासबुक उठा लायी।
पुलिस के अनुसार अनीता के अपने बहनोई विजय के गांव चंदरसी के मनोज से प्रेम संबन्ध हो गये थे। जब अनीता ने मनोज से इसका दुखड़ा रोया और विजय को सबक सिखाने की बात कही तो विजय के खिलाफ झूंठी कहानी तैयार करने की प्लानिंग की गयी। इसमें चंदरसी का ही सोनू भी शामिल हो गया जिसके पिता को विजय ने गोली लगने के मामले में जेल भिजवाया था। इन तीनों की मिली भगत से विजय द्वारा वीरेन्द्र को गोली मारने का मुकदमा लिखवाया गया। थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह चैहान ने भारी माथा पच्ची करके घटना की सारी कड़ियां जोड़ लीं जिसके बाद उन्होंने अर्चना, वीरेन्द्र और मनोज को दबोच लिया। जिस तमंचे से नाटक के तहत वीरेन्द्र पर गोली चलायी गयी थी वह मनोज के किराये के मकान में बरामद हुआ। इस कांड में एसओजी टीम ने भी आटा पुलिस ने सहयोग किया। अपर पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी ने बताया कि इस जटिल मामले की गुत्थी सुलझाने पर डीआईजी झांसी जोगिंदर कुमार ने आटा थानाध्यक्ष की पीठ थपथपाई और उन्हें 10 हजार रूपये का नगद पारितोषक दिया।







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