उरई।
माधौगढ़ के उप जिलाधिकारी की मनमानी से त्रस्त तहसील बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जिला बार संघ के अध्यक्ष गिरीश श्रीवास्तव के नेतृत्व में जिलाधिकारी को सौंपे गये ज्ञापन में जो आरोप लगाये हैं अगर वे सच हैं तो उन्हें हैरतअंगेज माना जायेगा जिन पर जिलाधिकारी से तत्काल संज्ञान लेने का तकाजा बनता है। माधौगढ़ तहसील बार एसोसिएशन के ज्ञापन में बताया गया है कि किस तरह कानून और नियमों की स्थापित मान्यताओं के विरूद्ध कार्य संचालन माधौगढ़ में उप जिलाधिकारी कार्यालय और न्यायालय में हो रहा है और खुली घूसखोरी हो रही है।
ज्ञापन में बिंदुबार उन अनियमितताओं की जानकारी दी गयी है जो उप जिलाधिकारी न्यायालय के पक्षकारों के शोषण के लिये की जा रहीं हैं। उदाहरण के तौर पर ज्ञापन में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151, 107, 116 के जो चालान थाने से आते हैं पहले उनमें जेल के लिये वारंट बनवा दिये जाते हैं और इस बीच अगर सैटिंग हो गयी तो संबंधित को तुरंत छोड़ दिया जाता है अन्यथा उसे जेल भेज दिया जाता है। इसी प्रकार आम रीति के अनुसार प्रत्येक न्यायालय में सुनवाई के लिये एक दैनिक तालिका तैयार की जाती है जबकि माधौगढ़ में दो सूचियां रहतीं हैं। एक आॅनलाइन सूची होती है और एक आॅफलाइन। वादकारी से सैटिंग हो जाने पर आॅफलाइन वाद को कम्प्यूटर कक्ष की लिस्ट में शामिल करा दिया जाता है। अधिवक्ताओं ने इसे राजस्व मैनुअल के खिलाफ और गैर कानूनी बताया है।
माधौगढ़ के अधिवक्ताओं ने इस ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया है कि राजस्व मैनुअल के मुताबिक लेखपालों को प्रभारी कानून गो नहीं बनाया जा सकता जबकि उप जिलाधिकारी माधौगढ़ शिवनारायण शर्मा ने अपने कृपा पात्र लेखपाल मंसूर खान को माधौगढ़ व बंगरा सर्किल के प्रभारी कानून गो के तौर पर जिम्मेदारी दे रखी है। इस तरह के कई विशिष्ट आरोप उप जिलाधिकारी/उप जिला मजिस्ट्रेट माधौगढ़ पर ज्ञापन में लगाये गये हैं। हालांकि जालौन टाइम्स इनकी पुष्टि नहीं करता लेकिन इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुये जिलाधिकारी से इस मामले में तत्काल जांच की अपेक्षा की जाती है ताकि न्यायिक पवित्रता पर किसी भी तरह की आंच को रोका जा सके।






Leave a comment