उरई |  जालौन जिले के कोंच कोतवाली क्षेत्र में 12 वर्षीय किशोरी के साथ दुष्कर्म के मामले में विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट ने दोषी मोंटू अहिरवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोषी पर 1 लाख 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न अदा करने की स्थिति में दोषी को दो वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। यह फैसला विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट के न्यायाधीश मोहम्मद कमर ने शुक्रवार को सुनाया।

शासकीय अधिवक्ता रणकेंद्र भदौरिया और विश्वजीत सिंह गुर्जर ने बताया कि कोंच कोतवाली क्षेत्र के कांशीराम कॉलोनी निवासी एक महिला ने 22 जुलाई 2024 को पुलिस को तहरीर दी थी। तहरीर में उन्होंने बताया कि उसी दिन शाम 6 बजे कॉलोनी निवासी मोंटू अहिरवार उनकी 12 वर्षीय भतीजी को बहला-फुसलाकर अपने आवास में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। जब महिला अपनी भतीजी की खोज में मोंटू के आवास पहुंची, तो वह वहां से भाग गया, जबकि किशोरी आवास में बैठी मिली। महिला ने किशोरी को घर ले जाकर उससे पूछताछ की, तो उसने बताया कि मोंटू ने उसके साथ दो-तीन बार दुष्कर्म किया और उसे चुप रहने के लिए पैसे भी दिए थे। इस जानकारी के आधार पर महिला ने कोंच कोतवाली में शिकायत दर्ज की।

 शिकायत के आधार पर पुलिस ने मोंटू अहिरवार के खिलाफ दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। किशोरी का बयान कोर्ट में कलमबंद दर्ज किया गया, जिसमें उसने दुष्कर्म की पुष्टि की। पुलिस ने गहन जांच के बाद मोंटू के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं में चार्जशीट दाखिल की। ### कोर्ट में सुनवाई और फैसला मामले की सुनवाई विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट में हुई। ट्रायल के दौरान वादी (महिला), किशोरी और अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए गए। साक्ष्यों, चिकित्सीय जांच और गवाहों के बयानों के आधार पर विशेष न्यायाधीश मोहम्मद कमर ने मोंटू अहिरवार को दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट की धाराओं में दोषी पाया। शुक्रवार को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने मोंटू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 1 लाख 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न चुकाने पर दो वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जालौन पुलिस ने अपनी आधिकारिक एक्स पोस्ट में इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा, “जालौन पुलिस की त्वरित कार्रवाई, सटीक विवेचना और डीजीसी क्रिमिनल की प्रभावी पैरवी के फलस्वरूप पॉक्सो एक्ट के तहत गंभीर अपराध में दोषी को आजीवन कारावास और 1,15,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया। इस फैसले ने पीड़ित परिवार को न्याय का एहसास दिलाया है। स्थानीय लोगों ने कोर्ट के इस कड़े निर्णय की सराहना की और पुलिस की त्वरित कार्रवाई व साक्ष्य संकलन की प्रशंसा की। शासकीय अधिवक्ता रणकेंद्र भदौरिया ने कहा, “यह फैसला समाज में बालिकाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति कड़ा संदेश देता है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी अपराधी कानून से बच नहीं सकता।कांशीराम कॉलोनी में हुए इस जघन्य अपराध ने क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी। कोर्ट के इस फैसले ने न केवल पीड़ित किशोरी और उसके परिवार को न्याय दिलाया, बल्कि समाज में बाल सुरक्षा और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुलिस और प्रशासन ने इस मामले में अपनी प्रतिबद्धता दिखाई, और यह फैसला अन्य अपराधियों के लिए एक चेतावनी है कि ऐसे अपराधों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

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