उरई | जालौन जिले में योगी सरकार के वृक्षारोपण अभियानों को बढ़ावा देने की कोशिशों के बीच वन विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिबंधित नीम और शीशम की लकड़ी की अवैध कटाई का कारोबार फिर से जोर पकड़ रहा है। जालौन रेंज के रेंजर हरिकिशोर शुक्ला की अगुवाई में सिरसा रोड के सदूपुरा और अटरा गांव के जंगलों में बड़े पैमाने पर अवैध कटान की घटना सामने आई है। मीडिया की सक्रियता के कारण एक ट्रक (UP36 T3638) और तीन ट्रैक्टरों को पकड़ा गया, जिनमें भारी मात्रा में प्रतिबंधित नीम और शीशम की कटी हुई लकड़ी बरामद की गई। इस मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली और रेंजर हरिकिशोर शुक्ला की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
मामला सिरसा रोड के सदूपुरा और अटरा गांव के आसपास के जंगलों का है, जहां मीडिया को सूचना मिली कि प्रतिबंधित नीम और शीशम के पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। जब मीडिया की टीम मौके पर पहुंची, तो वहां भारी मात्रा में कटी हुई लकड़ी मिली। करीब 5-6 मजदूर एक ठेकेदार की अगुवाई में बिना किसी डर के कटान का काम कर रहे थे। मीडिया ने देखा कि कई मोटे और पुराने नीम व शीशम के पेड़ काटे जा चुके थे। जैसे ही इसकी भनक रेंजर हरिकिशोर शुक्ला को लगी, वह अपनी वन विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और दिखावे के लिए ट्रक और तीनों ट्रैक्टरों को अपने कब्जे में ले लिया।पहले भी वायरल हुआ था वीडियोयह कोई पहला मामला नहीं है। करीब दो महीने पहले जालौन में प्रतिबंधित शीशम की लकड़ी को वन विभाग के सरकारी ट्रैक्टर से बस्तेपुर की आरा मशीन पर ले जाते समय एक वीडियो वायरल हुआ था। उस समय मीडिया की सक्रियता के कारण लकड़ी को आरा मशीन पर नहीं उतारा जा सका था। रेंजर हरिकिशोर शुक्ला ने तब अपना अपराध छिपाने के लिए ट्रैक्टर को नैनापुर की सरकारी पौधशाला भेज दिया था। इस मामले में डीएफओ जालौन ने रेंजर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके अलावा, एक महीने पहले न्यामतपुर में एक डीसीएम में प्रतिबंधित नीम और शीशम की लकड़ी पकड़ी गई थी, जिस पर डीएफओ ने 2.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इस घटना से संबंधित एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें रेंजर हरिकिशोर शुक्ला ठेकेदार से कहते सुनाई दे रहे हैं,
“न्यामतपुर में जब तुम पकड़े गए थे, तब तुमने कहा था कि साहब, इस बार गलती माफ कर दो, अब ऐसी गलती नहीं होगी।” यह बयान रेंजर की संलिप्तता पर सवाल उठाता है।रेंजर की भूमिका पर सवाल वायरल वीडियो और बार-बार हो रही अवैध कटाई की घटनाओं ने रेंजर हरिकिशोर शुक्ला की भूमिका को संदिग्ध बना दिया है। स्थानीय लोगों और मीडिया का मानना है कि रेंजर की सरपरस्ती के बिना इतने बड़े पैमाने पर अवैध कटान संभव नहीं है। सवाल यह है कि क्या ठेकेदारों के साथ मिलीभगत से यह कारोबार चल रहा है या फिर कोई और गहरी साजिश है। मजदूरों के बेखौफ काम करने का तरीका भी इस बात की ओर इशारा करता है कि उन्हें वन विभाग या पुलिस का कोई डर नहीं है।
वन विभाग और प्रशासन की चुप्पी
पिछले मामले में डीएफओ द्वारा गठित जांच कमेटी के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे रेंजर हरिकिशोर शुक्ला की हिम्मत बढ़ी और अवैध कटान का सिलसिला फिर शुरू हो गया। वन विभाग की इस लापरवाही ने योगी सरकार के वृक्षारोपण अभियानों की मंशा को कमजोर किया है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावनीम और शीशम जैसे प्रतिबंधित पेड़ों की अवैध कटाई से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। ये पेड़ न केवल वातावरण को शुद्ध करते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और भूजल स्तर को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में, वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा यह अवैध कारोबार पर्यावरण संरक्षण के लिए खतरा बन रहा है।जालौन रेंज में एक बार फिर पकड़ी गई प्रतिबंधित नीम और शीशम की लकड़ी ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रेंजर हरिकिशोर शुक्ला की संदिग्ध भूमिका और बार-बार सामने आ रहे वायरल वीडियो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अवैध कटान का यह कारोबार संगठित तरीके से चल रहा है। जनता और मीडिया अब डीएफओ व उच्च अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो। यह समय ही बताएगा कि क्या इस बार भी मामला ठंडे बस्ते में जाएगा या पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।







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