उरई | जालौन जिले में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के बीच स्थानीय राजनीतिक दलों ने ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोप लगाकर सनसनी मचा दी है। उनका दावा है कि जिले में हजारों लोगों के नाम दो-दो जगहों पर मतदाता सूची में दर्ज हैं, जिसमें सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, ग्राम प्रधान, सभासद और जिला पंचायत सदस्य शामिल हैं। इन आरोपों ने जालौन की राजनीति में भूचाल ला दिया है, और सात सभासदों सहित कई प्रधानों और जिला पंचायत सदस्यों की सदस्यता पर रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। राजनीतिक दलों ने इसे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
दोहरे मतदाता पंजीकरण के गंभीर आरोप
राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि जिले में बड़े पैमाने पर अवैध मतदाता पंजीकरण हुआ है। उनका कहना है कि प्रभावशाली लोग अपने रसूख का इस्तेमाल कर दो स्थानों पर वोट बनवा रहे हैं, जिससे मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और अन्य स्थानीय दलों ने दावा किया कि इस गैर कानूनी कार्य में सरकारी कर्मचारी, विशेष रूप से शिक्षक, के साथ-साथ ग्राम प्रधान, सभासद और जिला पंचायत सदस्य भी शामिल हैं। इन नेताओं ने इसे लोकतंत्र की पवित्रता को भंग करने वाला कृत्य बताया और चेतावनी दी कि यदि अवैध वोटों को सूची से नहीं हटाया गया और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। कानूनी प्रावधानों पर जोर राजनीतिक दलों ने दोहरे मतदाता पंजीकरण को गंभीर अपराध बताते हुए निम्नलिखित कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की मांग की है:
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 171D: इस धारा के तहत, दो स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकरण या मतदान करने पर एक वर्ष तक का कारावास, जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125A: इसके तहत, मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए जानबूझकर झूठी जानकारी देने या महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने पर दो साल तक का कारावास, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
- उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 की धारा 12-क: यह धारा स्पष्ट करती है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर दो जगह मतदाता के रूप में पंजीकृत पाया जाता है, तो उसकी ग्राम पंचायत या जिला पंचायत की सदस्यता रद्द की जा सकती है।
- उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1916 की धारा 43-ख: इस धारा के तहत, दोहरे मतदाता पंजीकरण के दोषी सभासद की सदस्यता रद्द हो सकती है।
सात सभासदों की सदस्यता पर संकट
आरोपों के मुताबिक, जालौन नगर के सात सभासदों सहित कई ग्राम प्रधानों और जिला पंचायत सदस्यों के नाम दो-दो जगहों पर मतदाता सूची में दर्ज पाए गए हैं। यदि ये आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो इनकी सदस्यता उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 की धारा 12-क और उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1916 की धारा 43-ख के तहत रद्द हो सकती है। यह जालौन की स्थानीय राजनीति में बड़ा उलटफेर ला सकता है, क्योंकि इन सभासदों और प्रधानों का प्रभाव क्षेत्र में काफी है।
जिला प्रशासन की चुप्पी
जिला प्रशासन ने इन गंभीर आरोपों पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान जोर-शोर से चल रहा है, और प्रशासन का दावा है कि सूची को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। फिर भी, राजनीतिक दलों के आरोपों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। यह देखना बाकी है कि प्रशासन इन आरोपों की जांच कैसे करता है और क्या दोहरे पंजीकरण के दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की जाती है।
राजनीतिक दलों की चेतावनी
समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय नेता ने कहा, “यह ‘वोट चोरी’ का मामला न केवल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी तोड़ता है। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि दोहरे पंजीकरण के सभी मामलों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।” वहीं, बहुजन समाज पार्टी के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने इस मामले में तत्काल कदम नहीं उठाए, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।सामाजिक और राजनीतिक प्रभावदोहरे मतदाता पंजीकरण के इन आरोपों ने जालौन की स्थानीय राजनीति में तनाव पैदा कर दिया है। यदि सात सभासदों, ग्राम प्रधानों और जिला पंचायत सदस्यों की सदस्यता रद्द होती है, तो इससे स्थानीय निकायों की कार्यप्रणाली पर गहरा असर पड़ सकता है। साथ ही, यह मामला आगामी चुनावों में भी बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
जालौन में दोहरे मतदाता पंजीकरण के आरोपों ने न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। सात सभासदों सहित कई प्रभावशाली नेताओं की सदस्यता पर मंडरा रहा खतरा जिले की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन और मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर टिकी हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या प्रशासन इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करेगा और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा, या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।







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