फाइलों में दफन जिला अस्पताल का ट्रामा सेंटर विधायक के प्रयासों से आया बाहर, मौत के मुंह में पड़े मरीजों को मिलेगा उन्नत उपचार


उरई। जिला अस्पताल में प्रस्तावित ट्रामा सेंटर निर्माण की फाइल दफन हो गई थी। डेढ़ दशक से अधिक समय पहले शासन ने ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये का बजट भेज दिया था। लेकिन यह प्रस्ताव धरातल पर मूर्त नही किया गया। कालांतर में अधिकारी, जनप्रतिनिधि और जनता सभी ट्रामा सेंटर को भूल गये। भला हो मौजूदा सदर विधायक गौरी शंकर वर्मा का जिन्हें इसकी याद आ गई। उन्होंने जिला अस्पताल से लेकर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सेन सारथी शर्मा के स्तर तक पीछे पड़कर पैरवी की तब इसकी गुम फाइले निकाली जा सकीं। विधायक ने बताया कि अगले महीने तक ही ट्रामा सेंटर के निर्माण का कार्य शुरू हो जायेगा।
जिला अस्पताल वर्तमान के उन्नत समय में ट्रामा सेंटर के बिना अपने अधूरेपन की गवाही दे रहा है। दूसरी बार निर्वाचित होने के बावजूद धरातल न छोड़ने वाले विधायक गौरी शंकर वर्मा ने प्रदेश के विभिन्न जिलों की यात्रा के समय जब यह देखा कि हर जगह जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर है तो उनके मन में यह सवाल घुमड़ा कि उनके यहां के जिला अस्पताल में अभी तक ट्रामा सेंटर क्यों नही बन पाया। उन्होंने सीएमओ और सीएमएस से इस बावत दरियाफ्त की तो चूंकि स्वीकृति उनके पदस्थ होने के बहुत पहले की थी और स्टॉफ ने उनके सामने इसकी फाइल नही रखी थी तो स्वास्थ्य विभाग के जिले के ये दोनों सिपहसलार भी अनभिज्ञ थे। इस पर सदर विधायक स्वयं जिला अस्पताल पहुंचे और सीएमएस दफ्तर के बाबुओं की उन्होंने क्लास ली तो ट्रामा सेंटर की फाइल सामने आ गई। पता चला कि इसके लिए जिला अस्पताल को 1 करोड़ रुपये का बजट मुहैया कराया गया था। बजट की धनराशि अधिक होने से इसे खर्च करने के लिए शासन से प्रस्तावित सेंटर की पूरी रूपरेखा भेजकर अनुमति की मांग की जानी चाहिए थी। लेकिन तत्कालीन सीएमएस इस फाइल को दाब कर बैठ गये। अनुमान किया जाता है कि उनकी मंशा मलिन थी। वे शासन की स्वीकृति प्राप्त करने की औपचारिकता किये बिना ट्रामा सेंटर निर्माण का ढकोसला करके बजट का वारा-न्यारा करने की फिराक में रहे होगें। लेकिन शायद बाबू स्टॉफ बाद में फंस जाने के डर से उनका साथ देने की हिम्मत नही जुटा सके।
इस बीच सीएमएस बदलते रहे लेकिन ट्रामा सेंटर के प्रस्ताव की रुचि किसी ने नही ली। जन प्रतिनिधियों की अकर्मण्यता सामने आई जिन्होंने प्राथमिकता वाले इस कार्य की सुध लेने की जरूरत महसूस नही की। इस मामले में प्रतिस्पर्धी भावना रखने वाले सदर विधायक गौरी शंकर वर्मा काम कराने में अपने को सबसे आगे साबित करने के जुनून में और जनप्रतिनिधियों से अलग हैं। वे खोद-खोद कर काम तलाशते रहते हैं और उनकी इस लगन का ही नतीजा है कि आखिरकार यहां भी ट्रामा सेंटर के अतिशीघ्र निर्माण का रास्ता खुल सका।
विधायक गौरी शंकर ने बताया कि 1 करोड़ रुपये का बजट ब्याज लगकर 2 करोड़ 62 लाख रुपये हो चुका है। उन्होंने कहा कि इतने बजट में अत्यंत उन्नत ट्रामा सेंटर का निर्माण हो जायेगा। वे शासन में एक बार फिर जा रहे हैं तांकि अविलंब इसका कार्य शुरू करने की स्वीकृति मिल सके। ट्रामा सेंटर बन जाने के बाद दुर्घटना, गोलीबारी, घातक हथियारों से घायल होकर आने वाले संगीन मरीजों और जटिल मर्ज के रोगियों का स्थानीय स्तर पर ही कारगर इलाज संभव हो पायेगा।

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