उरई | : जालौन जिले के पिया निरंजनपुर गौशाला में व्याप्त अव्यवस्थाओं और लापरवाही को लेकर जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने कड़ा रुख अपनाते हुए सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। गौशाला के औचक निरीक्षण के दौरान कई गंभीर खामियां सामने आने के बाद जिलाधिकारी ने पंचायत सहायक की सेवा समाप्त करने, खंड विकास अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि देने, और ग्राम प्रधान के खिलाफ उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा 95 जी के तहत कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। यह कार्रवाई गौशालाओं की व्यवस्था को दुरुस्त करने और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।औचक निरीक्षण में सामने आईं गंभीर खामियांजिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने सोमवार को पिया निरंजनपुर गौशाला का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान गौशाला की स्थिति अत्यंत चिंताजनक पाई गई। निरीक्षण में निम्नलिखित अनियमितताएं उजागर हुईं:
- भूसा घर खाली: गौशाला में पशुओं के लिए आवश्यक भूसा उपलब्ध नहीं था, जिससे उनकी देखभाल में गंभीर लापरवाही सामने आई।
- परिसर में गंदगी: गौशाला परिसर में कीचड़ फैला हुआ था, जो स्वच्छता और रखरखाव की कमी को दर्शाता है।
- अभिलेखों में गड़बड़ी: गौशाला के अभिलेख अपडेट नहीं थे और उनमें कई विसंगतियां पाई गईं, जो प्रशासनिक लापरवाही का संकेत देती हैं।
- निर्माण कार्य में देरी: गौशाला में निर्माणाधीन चरही का कार्य धीमी गति से चल रहा था, जिससे पशुओं की सुविधाओं में कमी बनी हुई थी।
जिलाधिकारी की त्वरित और सख्त कार्रवाई
निरीक्षण के दौरान पाई गई इन गंभीर खामियों पर जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया। उनकी कार्रवाइयों में शामिल हैं:
- पंचायत सहायक की सेवा समाप्ति: गौशाला की अव्यवस्थाओं और अभिलेखों में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार पंचायत सहायक की सेवा समाप्त करने का निर्देश दिया गया।
- खंड विकास अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि: खंड विकास अधिकारी के शिथिल पर्यवेक्षण को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश दिया गया।
- ग्राम प्रधान पर 95 जी की कार्रवाई: ग्राम प्रधान की लापरवाही और गौशाला प्रबंधन में असफलता के लिए उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा 95 जी के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।
- निर्माण कार्य में तेजी: गौशाला में निर्माणाधीन चरही के कार्य को तेज करने के लिए मजदूरों की संख्या बढ़ाने और समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने का आदेश दिया गया।
गौशाला व्यवस्था पर विशेष ध्यान
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि गौशाला में पशुओं की देखभाल के लिए भूसा, हरा चारा, और चोकर की उपलब्धता हर हाल में समय पर सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि भूसा की डिमांड में देरी या अभिलेखों को अपडेट न करने जैसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके साथ ही, उन्होंने खंड विकास अधिकारी को गौशाला परिसर की स्वच्छता और व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए।सामाजिक और प्रशासनिक महत्वगौशालाएं उत्तर प्रदेश में पशु संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
इनमें अव्यवस्था और लापरवाही न केवल पशुओं की देखभाल को प्रभावित करती है, बल्कि प्रशासनिक विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है। जिलाधिकारी की इस सख्त कार्रवाई से न केवल गौशाला की स्थिति में सुधार की उम्मीद है, बल्कि यह अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि कर्तव्य में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियास्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी की इस त्वरित कार्रवाई की सराहना की है। गौशाला की अव्यवस्थाओं को लेकर ग्रामीणों में लंबे समय से नाराजगी थी, और इस कार्रवाई से उन्हें उम्मीद है कि पशुओं की देखभाल और गौशाला प्रबंधन में सुधार होगा।







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