जालौन –उरई | उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ नियम 1 सितंबर 2025 से प्रभावी होना था, लेकिन जालौन जिले में यह नियम पूरी तरह बेअसर साबित हुआ है। नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चालकों को रोजमर्रा की तरह ईंधन दिया जा रहा है। इस नियम के प्रति पेट्रोल पंप मालिकों और वाहन चालकों की उदासीनता ने सड़क सुरक्षा के लिए उठाए गए इस महत्वपूर्ण कदम की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नियम का उद्देश्य और इसकी विफलता’
नो हेलमेट, नो फ्यूल’ नियम का उद्देश्य दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनने के लिए प्रोत्साहित करना और सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली गंभीर चोटों, विशेष रूप से सिर की चोटों, को कम करना था। इस नियम के तहत, पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चालकों को ईंधन देने पर प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि, जालौन जिले में इस नियम का कोई असर नहीं दिखा। पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट के वाहन चालकों को सामान्य रूप से पेट्रोल और डीजल उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे शासन के इस प्रयास की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय वाहन चालकों की राय
स्थानीय दोपहिया वाहन चालकों से बात करने पर उन्होंने इस नियम को सड़क सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम बताया, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कमी को प्रमुख समस्या माना। चिरगांव के धर्मेंद्र कुमार ने कहा, “नियम बहुत अच्छा है, लेकिन इसे लागू करने के लिए पुलिस और प्रशासन को सख्ती दिखानी होगी। बिना जागरूकता और चालान की व्यवस्था के लोग हेलमेट का उपयोग नहीं करेंगे।” इसी तरह, कुशल पाल सिंह ने जोड़ा, “हेलमेट मजबूरी नहीं, जरूरी है, लेकिन पेट्रोल पंप कर्मचारी नियम का पालन नहीं कर रहे। सरकार को पहले जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।” राम जी अग्रवाल और धीरज जैसे अन्य वाहन चालकों ने भी इस बात पर सहमति जताई कि नियम का प्रभाव तभी होगा, जब इसे सख्ती से लागू किया जाए।
पेट्रोल पंप मालिकों की उदासीनता
जालौन के कई पेट्रोल पंप मालिकों ने इस नियम को लागू करने में रुचि नहीं दिखाई। कुछ मालिकों का कहना है कि उन्हें इस नियम को लागू करने के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश या प्रशिक्षण नहीं मिला। एक पेट्रोल पंप कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमें कोई लिखित आदेश नहीं मिला कि बिना हेलमेट वालों को पेट्रोल न दें। अगर हम ऐसा करें, तो ग्राहकों से झगड़े की आशंका रहती है।” इस तरह की स्थिति नियम के प्रभावी क्रियान्वयन में बाधा बन रही है।
प्रशासनिक कमियां और चुनौतियां
जालौन में इस नियम के असफल होने का एक प्रमुख कारण प्रशासनिक स्तर पर सख्ती और निगरानी की कमी है। स्थानीय पुलिस और यातायात विभाग द्वारा नियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कोई विशेष अभियान या जांच नहीं की गई। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में हेलमेट के उपयोग के प्रति जागरूकता की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। कई वाहन चालकों का मानना है कि हेलमेट पहनना असुविधाजनक है, और बिना सख्त प्रवर्तन के वे इसका उपयोग करने से बचते हैं।
सड़क सुरक्षा का महत्व
हेलमेट सड़क दुर्घटनाओं में सिर की चोटों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल हजारों दोपहिया वाहन चालक दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं, जिनमें से अधिकांश मामलों में हेलमेट न पहनना एक प्रमुख कारण होता है। ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ जैसे नियम सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और इन मौतों को कम करने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन जालौन में इसकी विफलता सड़क सुरक्षा के प्रति सामाजिक और प्रशासनिक जागरूकता की कमी को दर्शाती है।
प्रशासन से अपील
स्थानीय लोगों और वाहन चालकों ने प्रशासन से मांग की है कि इस नियम को प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएं:
- जागरूकता अभियान: हेलमेट के महत्व को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
- सख्त प्रवर्तन: पेट्रोल पंपों पर नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और यातायात विभाग की निगरानी बढ़ाई जाए।
- पेट्रोल पंप मालिकों को प्रशिक्षण: पेट्रोल पंप मालिकों और कर्मचारियों को नियम के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
- चालान और दंड: बिना हेलमेट वाहन चलाने वालों के खिलाफ नियमित चालान और दंड की व्यवस्था लागू की जाए।







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