उरई: साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले अफ़ज़ल अंसारी ने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ निश्चय से रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB-JE) की अखिल भारतीय कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा में सिविल अभियंता के पद पर चयन हासिल कर जालौन जिले का गौरव बढ़ाया है। मोहल्ला बघौरा के निवासी अफ़ज़ल, अय्यूब अंसारी के पुत्र, ने चुनौतियों से भरे सफर में कभी हार नहीं मानी और अपने माता-पिता के सपनों को साकार किया।
रेलवे बोर्ड की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में देशभर से लाखों अभ्यर्थी शामिल हुए, जिनमें सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा, बीटेक और एमटेक धारक थे। प्रीलिम्स, मेन्स और मेडिकल टेस्ट की कठिन प्रक्रिया में अफ़ज़ल ने अपनी श्रेष्ठता साबित कर अंतिम चयन सूची में स्थान बनाया।
**शिक्षा और संघर्ष का सफर**
अफ़ज़ल का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा। उन्होंने प्राथमिक से हाईस्कूल तक की शिक्षा नवीन शिक्षण संस्थान, बघौरा, उरई से पूरी की, जहाँ शिक्षकों (अनिल दिवाकर, आरिफ, सोनू, शाहिद, जावेद) का मार्गदर्शन मिला। इसके बाद राजकीय पॉलिटेक्निक, उरई से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी की। फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से बी.ई. (सिविल इंजीनियरिंग) की डिग्री हासिल की। असफलताओं का सामना करने के बावजूद अफ़ज़ल ने धैर्य और निरंतर प्रयास से हर चुनौती को अवसर में बदला। इनकी सफलता पर मार्गदर्शक सुमित सेंगर ने बधाई दी ।
**परिवार का सहयोग और प्रेरणा**
अफ़ज़ल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और बड़े भाई को देते हैं। उनके पिता अय्यूब अंसारी ने फल बेचकर परिवार का भरण-पोषण किया, लेकिन बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी। माँ शमीम खातून ने तालीम और तर्बियत में जी-जान लगाई। बड़े भाई अकबर अंसारी, जो एक सरकारी अध्यापक हैं, ने हर कदम पर मार्गदर्शन किया। अफ़ज़ल कहते हैं, “मैंने अपने पिता से ईमानदारी और मेहनत, और माँ से सब्र व निरंतरता सीखी।” वे मारहरा शरीफ के डा. सय्यद अमीन मियां के कथन “आधी रोटी खाइए, बच्चों को पढ़ाइए” को प्रेरणा मानते हैं।
**युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत**
अफ़ज़ल का संदेश है, “सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं। अनुशासन, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास ही मंजिल तक ले जाते हैं। असफल होने वाले निराश न हों, बल्कि अपनी तैयारी को और बेहतर करें।” उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, भाई हाफ़िज़ अफसर रज़ा नूरी, भाभी कहकशां फातिमा और भतीजी आयशा फातिमा के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह हर संघर्षशील युवा के लिए प्रेरणा है।
अफ़ज़ल की कहानी साबित करती है कि दृढ़ निश्चय, धैर्य और अथक परिश्रम से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
**संपर्क: 131, पुलिस लाइन, बघौरा, उरई, जालौन | वाट्सएप: 6396138032**







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