जालौन में ‘नो हेलमेट-नो फ्यूल’ अभियान तेज, 106 चालकों पर चालान; पेट्रोल पंपों पर जागरूकता अभियान

उरई | उत्तर प्रदेश सरकार के ‘नो हेलमेट-नो फ्यूल’ विशेष सड़क सुरक्षा अभियान के तहत जालौन जिले में बुधवार को परिवहन विभाग ने सख्त कार्रवाई की। उरई और कालपी क्षेत्रों में बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चला रहे 106 चालकों के खिलाफ चालान जारी किए गए। यह अभियान 1 से 30 सितंबर तक चल रहा है, जिसका उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और हेलमेट के उपयोग को बढ़ावा देना है। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह के निर्देश पर सभी जिलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में जिला सड़क सुरक्षा समिति (डीआरएससी) के सहयोग से यह मुहिम संचालित हो रही है।

परिवहन विभाग की टीमों ने उरई और कालपी के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर निगरानी बढ़ा दी है। सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) राजेश कुमार की टीम ने 48 चालानों की कार्रवाई की, जबकि वरिष्ठ सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी सुरेश कुमार की टीम ने 58 चालान काटे। अधिकारियों ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 129 के तहत दोपहिया चालक और पीछे बैठने वाले के लिए हेलमेट अनिवार्य है, जबकि धारा 194D के उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जाता है। इस अभियान में पुलिस, प्रशासन और परिवहन विभाग संयुक्त रूप से प्रवर्तन कर रहे हैं।

अभियान के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में पेट्रोल पंपों पर जागरूकता बोर्ड लगाए जा रहे हैं। सभी पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि बिना हेलमेट वाले दोपहिया चालकों को ईंधन न दें और उन्हें हेलमेट पहनने के लिए जागरूक करें। उल्लंघन करने वाले पंपों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत रूप से इस अभियान की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं और जनता से अपील की है कि ‘हेलमेट पहले, ईंधन बाद में’ को नियम बनाएं। यह मुहिम दंड से अधिक जागरूकता पर केंद्रित है, ताकि सड़क हादसों में होने वाली मौतों को रोका जा सके।

जालौन में अब तक अभियान के तहत कई स्थानों पर जागरूकता शिविर भी लगाए गए हैं, जहां लोगों को हेलमेट के फायदों के बारे में बताया जा रहा है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले दिनों में चालान की संख्या बढ़ने से लोग हेलमेट पहनने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अभी भी लापरवाही देखी जा रही है, जिसके खिलाफ सख्ती जारी रहेगी। यह अभियान पूरे प्रदेश के 75 जिलों में एक साथ चल रहा है और सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति की सिफारिशों पर आधारित है।

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