टीईटी अनिवार्यता खत्म करने की मांग को लेकर जालौन में हजारों शिक्षकों का जोरदार धरना, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ज्ञापन सौंपा

उरई | सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर 2025 को दिए गए ऐतिहासिक फैसले से देशभर के लाखों शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है, जिसके विरोध में जालौन जिले में भी शिक्षक संगठनों ने आंदोलन तेज कर दिया है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर बुधवार को जिले के विभिन्न ब्लॉकों से हजारों शिक्षक कलेक्ट्रेट परिसर में एकत्रित हुए और टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से चला, लेकिन शिक्षकों के चेहरे पर गुस्सा और चिंता साफ झलक रही थी। उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बेसिक शिक्षा मंत्री गुड्डू पांडेय और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को संबोधित ज्ञापन सौंपा, जिसमें फैसले को रद्द करने और पुराने शिक्षकों को छूट देने की अपील की गई।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी गैर-माइनॉरिटी स्कूलों के सेवारत शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य होगा। जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में 5 वर्ष से अधिक समय बाकी है, उन्हें अगले 2 वर्षों के भीतर TET उत्तीर्ण करना होगा, अन्यथा उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि 5 वर्ष से कम सेवा बची शिक्षकों को TET पास किए बिना रिटायरमेंट तक सेवा जारी रखने की छूट दी जाएगी, लेकिन प्रमोशन के लिए TET जरूरी रहेगा।

यह फैसला RTE (राइट टू एजुकेशन) एक्ट 2009 के तहत NCTE (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) के 29 जुलाई 2011 के नोटिफिकेशन पर आधारित है, जो TET को शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता मानता है।

हालांकि, माइनॉरिटी संस्थानों पर RTE की लागूता का मामला अभी बड़ी बेंच के समक्ष लंबित है, इसलिए वहां TET अनिवार्य नहीं होगा।

धरने को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष ठाकुरदास यादव ने कहा, “नौकरी लगने के 20-25 साल बाद TET थोपना शिक्षकों के साथ सरासर अन्याय है। हमने नियुक्ति के समय सभी अर्हताएं पूरी की थीं, अब यह नए नियम असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण है। सरकार को इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढना होगा।” कार्यवाहक जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान ने गुस्से में कहा, “शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं, लेकिन सरकार उन्हें अपराधी की तरह व्यवहार कर रही है। TET पास न करने पर सेवा समाप्ति का प्रावधान तानाशाही है।”

जिला मंत्री आफताब आलम ने जोर देकर कहा, “सभी शिक्षक नियुक्ति के समय की योग्यताओं को पूरा करने के बाद ही सेवा में आए थे। अब यह नए नियम थोपना उत्पीड़न है।” जिला मंत्री आलोक श्रीवास्तव ने इंगित किया, “जुलाई 2011 से पहले TET का अस्तित्व ही नहीं था, इसलिए पुराने शिक्षकों पर इसे लागू करना अनुचित है।” नदीगांव ब्लॉक अध्यक्ष रामअनुग्रह गुर्जर ने सरकार पर आरोप लगाया, “सरकार पर्दे के पीछे से शिक्षकों के साथ छल कर रही है, इसे बंद किया जाए।” कुठौंद मंत्री अश्वनी यादव ने कहा, “यह फैसला शिक्षा के निजीकरण की साजिश का हिस्सा लगता है, जिससे सरकारी स्कूलों का वजूद खतरे में पड़ जाएगा।”

प्रदर्शन में गौतम त्रिपाठी, राघवेंद्र श्रीवास्तव, प्रताप भानु सिंह, राममणिहर सिंह, आकाश द्विवेदी, इंद्रपाल गुर्जर, सर्वेश शर्मा, तेजबहादुर चौधरी, सुनील पाठक, नित्यानंद प्रजापति, श्रवण निरंजन, संजीव भदौरिया, श्याम जी यादव, योगेश निरंजन, अजय भदौरिया, सुनील आनंद, राकेश निरंजन, सौरभ श्रीवास्तव, त्रिभुवन नारायण, अनिल गुप्ता, दर्शन यादव, विवेक गुप्ता, संजय यादव, प्रवीन महान, शादाब बेग सहित बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल रहे। कई शिक्षकों ने हाथों में बैनर और प्लेकार्ड लिए हुए थे, जिन पर लिखा था ‘TET हटाओ, शिक्षकों को बचाओ’ और ‘पुराने शिक्षकों पर TET अन्याय’। धरना दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक चला, और इस दौरान शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।यह प्रदर्शन केवल जालौन तक सीमित नहीं है। उत्तर प्रदेश के अलावा ओडिशा, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी शिक्षक संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।

केरल सरकार ने फैसले को चुनौती देने की घोषणा की है, जहां लगभग 50,000 शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं।

शिक्षक संघों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 10 से 16 सितंबर तक देशव्यापी आंदोलन तेज किया जाएगा, जिसमें पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और केंद्रीय कानून में संशोधन की मांग भी शामिल होगी।

शिक्षक संगठनों का तर्क है कि यह फैसला RTE एक्ट के मूल उद्देश्य से भटकाव है, क्योंकि नियुक्ति के समय TET की कोई शर्त नहीं थी। वे कहते हैं कि इससे लाखों शिक्षकों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा और शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। दूसरी ओर, शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि TET से शिक्षण मानकों में सुधार होगा, लेकिन पुराने शिक्षकों के लिए यह कठोर कदम है। जिला प्रशासन ने प्रदर्शन को शांतिपूर्ण रखने का आश्वासन दिया है, लेकिन शिक्षकों की मांगों पर राज्य स्तर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह आंदोलन आने वाले दिनों में और तेज होने के संकेत दे रहा है।

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