जालौन-उरई | देव नगर चौराहे पर स्थित सरकारी जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर ई-रिक्शा चालकों की मनमानी ने मरीजों और उनके तीमारदारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गत दिवस हुई शिकायतों के बाद यह मुद्दा फिर से चर्चा में आया है, जहां आड़े-तिरछे खड़े ई-रिक्शा रास्ता अवरुद्ध कर रहे हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं, प्रसव पीड़ित माताओं और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को तत्काल इलाज में देरी का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिदिन 700 से 800 मरीजों की आमद होने वाले इस अस्पताल में यह समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, और पुलिस की हिदायतों के बावजूद ई-रिक्शा चालक अनियंत्रित बने हुए हैं।
मरीजों की परेशानी:
हर सेकंड कीमती मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि जब वे अपने वाहनों से अस्पताल पहुंचते हैं, तो गेट के ठीक सामने ई-रिक्शा चालक लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं, जिससे वाहनों का प्रवेश मुश्किल हो जाता है। एक तीमारदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “मेरी पत्नी को प्रसव के लिए दर्द से तड़पते हुए लाया था, लेकिन गेट पर जाम देखकर 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। ऐसी स्थिति में हर पल कीमती होता है।” इसी तरह, रेफर होने वाले मरीजों को भी दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं तक ले जाने में देरी हो रही है। गंभीर मरीजों के परिजनों का कहना है कि जाम के कारण एम्बुलेंस तक को अंदर आने में परेशानी होती है, जो कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकता है।
पुलिस और समाजसेवियों की शिकायतें बेअसर
समाजसेवी संगठनों ने इस समस्या को लेकर पिछले महीने स्थानीय पुलिस से कई बार शिकायत की थी। पुलिस ने ई-रिक्शा चालकों को मौखिक हिदायतें दी थीं और 5 सितंबर को एक बार चेतावनी भी जारी की थी, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। एक समाजसेवी ने बताया, “हमने थाना उरई में लिखित शिकायत दी थी, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला। अब मरीजों की जान दांव पर लगी है।” जिले में ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिसके कारण यातायात व्यवस्था पहले से ही चरमरा चुकी है, और अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर यह समस्या और गंभीर हो गई है।
प्रशासन का सख्त रुख
इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई का फैसला लिया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उषा सिंह ने गुरुवार, को बताया कि अस्पताल प्रशासन ने पुलिस और परिवहन विभाग को पत्र लिखा है, जिसमें ई-रिक्शा चालकों के लिए अलग पार्किंग जोन बनाने और गेट के आसपास खड़े होने पर जुर्माना लगाने की मांग की गई है। पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार ने कहा, “हमने ट्रैफिक पुलिस की एक विशेष टीम गठित की है, जो आज रात 8:56 बजे से गश्त शुरू करेगी। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 122/177 के तहत चालान काटा जाएगा। अस्पताल क्षेत्र को ‘नो पार्किंग जोन’ घोषित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।”जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 12 सितंबर को अस्पताल का औचक निरीक्षण किया जाएगा और ई-रिक्शा चालकों के लिए वैकल्पिक पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, जिसमें लाइसेंस निलंबन तक की कार्रवाई शामिल हो सकती है।
स्थानीय मांग और भविष्य की राह
स्थानीय लोग और समाजसेवी मांग कर रहे हैं कि ई-रिक्शा चालकों के लिए सख्त नियम लागू हों और गेट के आसपास 50 मीटर के दायरे में पार्किंग पर पूरी तरह पाबंदी लगाई जाए, ताकि मरीजों को समय पर इलाज मिल सके। एक बुजुर्ग निवासी ने कहा, “हम मरीजों की सुविधा चाहते हैं, लेकिन चालक अपनी सुविधा के लिए रास्ता बंद कर देते हैं। प्रशासन को तुरंत कदम उठाना चाहिए।” जिले में पहले भी यातायात जाम की समस्या को लेकर मई 2025 में डीएम और एसपी ने उरई शहर का निरीक्षण किया था, जिसमें मुख्य चौराहों पर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए गए थे।यह समस्या केवल जालौन तक सीमित नहीं है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों जैसे कानपुर, झांसी और लखनऊ में भी ई-रिक्शा से जुड़ी यातायात समस्याएं बढ़ रही हैं। परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार जल्द ही ई-रिक्शा चालकों के लिए प्रशिक्षण और नियमित पंजीकरण की व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। जालौन में यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो मरीजों और तीमारदारों का आंदोलन भी संभव है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि अगले 48 घंटों में स्थिति सामान्य की जाएगी, लेकिन स्थानीय लोग सतर्क नजर बनाए हुए हैं।
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