उरई | राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) ने शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा हेतु प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की है। पूरे देश भर से 15 सितंबर 2025 को जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर टीईटी समस्या के समाधान का आग्रह किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर संजय मेधावी एवं प्रदेश महामंत्री जोगेंद्र पाल सिंह ने संयुक्त बयान में कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आवाहन पर उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के जिलाधिकारियों के माध्यम से टीईटी समस्या के समाधान हेतु 15 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री जी को ज्ञापन भेजकर इस जवलंत समस्या के समाधान की मांग करेगा।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजकर 01 सितम्बर 2025 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। इस निर्णय के अनुसार कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले सभी सेवारत शिक्षकों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) अनिवार्य कर दी गई है, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि कुछ भी रही हो। यह स्थिति देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल सकती है।
एबीआरएसएम ने स्पष्ट किया है कि आरटीई अधिनियम 2009 एवं एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 के अनुसार दो अलग-अलग श्रेणियाँ मान्य थीं—2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षक, जिन्हें योग्य माना गया और जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी, तथा 2010 के बाद नियुक्त शिक्षक, जिन्हें एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना आवश्यक था। न्यायालय के इस निर्णय ने इस भेद को अनदेखा कर दिया है, जिससे 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है।
एबीआरएसएम के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि विगत कई वर्षों से शिक्षा व्यवस्था को संभाल रहे अनुभवी शिक्षकों पर अचानक टीईटी की अनिवार्यता थोपना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि यह शिक्षा की निरंतरता को भी बाधित करेगा। सरकार को तत्काल हस्तक्षेप कर इसे केवल भविष्य की नियुक्तियों पर लागू करना चाहिए।
महामंत्री एबीआरएसएम प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि इस निर्णय से 20 लाख से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे। जिन्होंने वैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत नियुक्ति प्राप्त की थी, उनकी सेवा अब असुरक्षित हो गई है। यह स्थिति शिक्षकों के मनोबल को तोड़ेगी और शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
एबीआरएसएम ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि यह निर्णय केवल भविष्यलक्षी रूप से लागू हो, 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवा सुरक्षा व गरिमा की रक्षा की जाए और आवश्यक नीतिगत या विधायी उपाय कर लाखों शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जाए।







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