उरई। समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य डा. मानसिंह यादव ने पुराने शिक्षकों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने का जो भार डाला जा रहा है उसे बेजा बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इससे जुड़े 1 सितम्बर 2025 के आदेश को संशोधित कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को पहल करनी चाहिए।
ध्यान रहे कि उक्त फैसला कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी शिक्षकों को प्रभावित करने वाला है। इसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सभी शिक्षकों की नियुक्ति, सेवा में बने रहने और पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा टेट को क्वालीफाई करना अनिवार्य कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन शिक्षकों की सेवा पांच साल या इससे अधिक बची है उन्हें दो साल के अंदर टेट पास करना होगा। ऐसा न होने पर उनका प्रमोशन रुक सकता है या सेवा ही समाप्त की जा सकती है। हालांकि जिनकी रिटायरमेंट 5 साल के अंदर है उन्हें छूट मिल सकती है। इसे लेकर पुराने शिक्षक आंदोलित हैं। उनका कहना है कि जब वे नियुक्त हुए थे तब टेट जैसी परीक्षा की जरूरत नही थी। अब अचानक यह अनिवार्य किया जा रहा है जो कि अन्याय पूर्ण है। इसके लिए पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था।
मानसिंह यादव ने कहा कि जहां तक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का प्रश्न है पुराने शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण देकर उन्हें अपडेट करने की व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन उम्र दराज होने के बाद उनसे टेट पास करने की अपेक्षा करना किसी भी तरह जायज नही कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार इसे लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जैसा कोई कदम उठाये। उन्होंने कहा कि वित्त विहीन माध्यमिक शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों पर माध्यमिक शिक्षा का 70 प्रतिशत भार है। फिर भी न तो उनकी सेवा पुस्तिका बनायी गयी है और न ही उनका मानदेय निश्चित है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि हमारी पार्टी सत्ता में आती है तो इस भेदभाव को समाप्त किया जायेगा। वित्तविहीन शिक्षकों की भी सेवा पुस्तिका तैयार की जायेगी और उनका सम्मान जनक प्रतिमाह का मानदेय निश्चित किया जायेगा।
एमएलसी यादव ने शिक्षा मित्रों का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि 1 लाख शिक्षा मित्रों के साथ प्रदेश सरकार निष्ठुर व्यवहार कर रही है। समाजवादी पार्टी का वायदा है कि सत्ता में आने पर शिक्षा मित्रों के साथ समान कार्य का समान वेतन सिद्धांत के अंतर्गत इंसाफ किया जायेगा।
उन्होंने आउटसोर्सिंग व संविदा प्रथा के आधार पर की जा रही नियुक्तियों की व्यवस्था को शोषणकारी बताया। उन्होंने कहा कि नाम मात्र के वेतन पर पढ़े लिखे बेरोजगारों से काम कराने का अधिकार निजी कंपनियों को दिया जा रहा है तांकि वे बड़े पैमाने पर मुनाफा कबाड़ने का अवसर प्राप्त कर सकें। ठेका कर्मचारियों को न तो कैशलेस चिकित्सा का लाभ मिलता है, न ही बीमा होता है और न ही पीएफ कटता है। यह प्रक्रिया नितांत असंवैधानिक और अनैतिक है। जिसे समाप्त कराने के लिए हमारी पार्टी सभी विभागों में नियमित नौकरियों की व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बेरोजगारों की बढ़ती आत्महत्या के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर झांसा दिया जा रहा है। कई विभाग वित्तीय वर्ष समाप्त होने तक 40 प्रतिशत बजट खर्च नही कर पाये। फिर भी उनको नया बजट दे दिया गया इसे क्या कहेंगे।
मानसिंह यादव ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में आकर अधिवक्ता बंधुओं और पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। इसमें अशोक गुप्ता, चौ. जयकरन सिंह, नोटरी मजिस्ट्रेट सुशील पाण्डेय, वीरपाल सिंह यादव दादी, आनंद यादव पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत उरई, धर्मेंद्र सिंह यादव, पूर्व ब्लाक प्रमुख अशोक द्विवेदी, आशुतोष शर्मा एडवोकेट, कमल दोहरे, भानु राजपूत, गीता यादव आदि प्रमुख रहे।







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