सेवारत शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त करने की माँग,

 राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने पीएम को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा,

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आवाहन पर पूरे देश में एक साथ दिया गया ज्ञापन 

उरई : 15 सितम्बर 2025

देशभर के लाखों शिक्षकों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले 01 सितम्बर 2025 के उच्चतम न्यायालय के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) संबंधी निर्णय पर तत्काल हस्तक्षेप हेतु अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आवाहन पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट राजेश कुमार वर्मा को सौंपा। प्रदेशीय मीडिया प्रभारी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि एबीआरएसएम के तत्वाधान में 15 सितम्बर को पूरे भारत में एक साथ जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमन्त्री को ज्ञापन भेजा गया है। जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह चौहान ने बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार सभी सेवारत शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति की तिथि चाहे जो भी हो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय ने देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल दिया है। जिला महामंत्री इलयास मंसूरी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से दो श्रेणियाँ मान्य की गई थीं जिसमें पहली वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी एवं दूसरी वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों की जिनके लिए एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया था। माननीय उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय में इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है। इस निर्णय से देशभर में लगभग 20 लाख से अधिक शिक्षक गहन चिंता और असमंजस की स्थिति में हैं। जिला संगठन मंत्री तनवीर अहमद ने न्यायालय के इस निर्णय को केवल भविष्यलक्षी रूप से लागू किए जाने की मांग की उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आरटीई अधिसूचना 27 जुलाई 2011 को लागू होने से इसके पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर इसका प्रभाव न पड़ना न्यायसंगत होगा। जिला कोषाध्यक्ष राकेश कुमार


ने वैध नियमों के अंतर्गत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित करने और लाखों शिक्षकों को सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने हेतु आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाने की माँग की। शिक्षकों ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना भी है क्योंकि उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन इस पवित्र शिक्षण कार्य को समर्पित किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि यशस्वी प्रधानमंत्री इस विषय पर त्वरित संज्ञान लेकर न्यायोचित समाधान करेंगे।

        इस अवसर पर मनोज बाथम, सरला कुशवाहा, इनाम उल्ला अंसारी, संजीव गुर्जर, उपेंद्र शर्मा, सलिल कान्त श्रीवास, राजदेवर, रियायत बेग, शारिक अंसारी, अखिलेश रजक, विनय मिश्रा, राघवेंद्र यादव, सत्यपाल, उमेश कुमार, कपिल द्विवेदी, ऋषि बुधौलिया, हिमांशु पुरवार, राघवेंद्र शर्मा, दशरथ सिंह, अरविंद निरंजन, अभिषेक पुरवार, रामराजा जादौन, अनुज भदौरिया, कन्हैयालाल कुशवाहा, गौरवकांत श्रीवास, कल्पना बाजपेई, सुनील निरंजन, श्रद्धानंद, कृष्णकुमार, आलोक गुप्ता, अनुराधा चौधरी, रूबी वर्मा, आर्द्रा श्रीवास्तव, भागवती, शिल्पी नगाइच, सुषमा वर्मा, रूबी राठौर, गायत्री गौतम, संगीता, जय प्रकाश नरवरिया,  वृन्दावन त्रिपाठी, कृष्णगोपाल सिंह, आलोक गुप्ता, शालिनी श्रीवास्तव, पवन प्रजापति, फीरोज अली शाह, सुनीता देवी, विनोद निरंजन, नवनीत श्रीवास्तव, शिवानन्द गुर्जर, अवनीश विश्वकर्मा, अविनाशी तिवारी, शैलेन्द्र वर्मा, अंजना वर्मा, मनोज कुमार आदि शिक्षक शिक्षिकाएं मौजूद रहे।

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