मौत के मुंह से कैंसर पीड़ित ध्रुव को छीन ले आने वाले युवाओं के सच्चे आइकॉन सुमित


उरई। भारतीय जनता पार्टी के युवा कार्यकर्ता सुमित प्रताप सिंह मुसीबत में घिरे लोगों के लिए देवदूत की तरह उद्वारक साबित हो रहे हैं। उनकी निस्वार्थ परोपकार भावना का एक और प्रेरित करने वाला प्रसंग सामने आया जब सब तरफ से निराश हो चुके कैंसर पीड़ित एक छात्र को उनके प्रयासों से जीवनदान मिला।
मूल रूप से छतरपुर जिले का रहने वाला 19 वर्षीय छात्र ध्रुव पिपरइया यहां संस्कृत महाविद्यालय में पढ़ाई के दौरान सुमित के संपर्क में आ गया था। एक दिन सुमित को पता चला कि ध्रुव लखनऊ में मेंदाता अस्पताल में जिंदगी की अंतिम घड़िया गिन रहा है। उसे ब्लड कैंसर हो गया था। स्थिति अत्यंत नाजुक हो जाने पर उसके परिजनों ने जैसे तैसे उसे लखनऊ के मेंदाता अस्पताल में भर्ती कराया जहां मात्र तीन दिन में तीन लाख रुपये खर्च हो गये। इसके बाद परिवार का और रकम इकटठा करने का बूता नही बचा। मजबूरी में वे ध्रुव को भगवान भरोसे छोड़ने वाले थे।
इसी बीच ध्रुव के भाग्य से लखनऊ में राजनैतिक काम के लिए आये सुमित को उसकी हालत के बारे में पता चला तो वे आदत के मुताबिक उसे देखने मेंदाता पहुंच गये। सुमित ने देखा कि मौत के भय से ध्रुव का चेहरा कितना मलिन हो गया है। उसके निराश परिजन भी विषाद में डूबे हुए थे। करुणा से भर गये सुमित ने उन्हें दिलासा दिलाया कि वे ध्रुव का कुछ नही होने देगें।
वे उसके इलाज की व्यवस्था के लिए इस तरह जुट पड़े जैसे उनके घर के किसी सगे का मामला हो। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दरवाजा खटखटाया। नेता गणों को सुमित की निस्वार्थ दया भावना ने बहुत प्रभावित किया और उन्होंने पीजीआई में उसे भर्ती कराने के लिए जोरदार सिफारिशें की। सुमित की इस पैरवी का नतीजा था कि आनन-फानन ध्रुव को पीजीआई में बैड मिल गया और उपचार शुरू हो गया। इसी दौरान सुमित ने ध्रुव का आयुष्मान कार्ड भी बनवा लिया जो कि इतनी जल्दी संभव नही होता। आयुष्मान कार्ड से उसे पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का रास्ता खुला। इसके साथ-साथ सुमित ने कई साधन संपन्न परिचितों से नगदी की भी व्यवस्था करायी।
सुमित की निस्वार्थ तपस्या का फल था कि इलाज कारगर हुआ और ध्रुव मौत के मुंह से बाहर निकल आया। ध्रुव और उसके परिवारीजनों की खुशी का ठिकाना नही है। वे जी भरकर सुमित को आशीष दे रहे हैं। सुमित का कहना है कि उनकी दुआओं को वे अपने लिए सबसे बड़ा इनाम मानते हैं। क्या सुमित के ऐसे प्रयास दूसरे युवाओं को भी इस दिशा में में प्रेरित करने का काम करेगें।


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