उरई | दशम आयुर्वेद दिवस के अवसर पर उरई के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में एक विशाल निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया, जिसने जन-जन तक आयुर्वेद की सुगंध पहुँचाई। शिविर का शुभारंभ जिलाधिकारी ने फीता काटकर किया। उन्होंने मरीजों और उनके तीमारदारों से हृदयस्पर्शी संवाद किया, उनका हाल-चाल जाना और शिविर की व्यवस्थाओं का बारीकी से जायजा लिया।
आयुर्वेद: रोग निवारण से लेकर जीवन दर्शन तक
जिलाधिकारी ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा, “आयुर्वेद हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। आधुनिक युग में इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है, क्योंकि यह न केवल रोगों का उपचार करता है, बल्कि उनकी रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है।” उन्होंने चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे आयुर्वेद के लाभ और जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ। साथ ही, मरीजों को संदेश दिया कि “आयुर्वेद केवल औषधि नहीं, बल्कि योग, प्राणायाम, संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या से जुड़ा एक समग्र जीवन दर्शन है।
“शिविर में दिखी व्यवस्थाओं की झलक
शिविर में मरीजों को निःशुल्क परामर्श और उपचार प्रदान किया गया, जिसने आयुर्वेद की सुलभता और प्रभावशीलता को रेखांकित किया। जिलाधिकारी ने व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए इसे जन-कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
इन गणमान्य ने बढ़ाया आयोजन का मान
कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी के.के. सिंह, उप जिलाधिकारी विनय मौर्य, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. अरुण कुमार गुप्त, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी पूजा सिंह राजपूत सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गरिमामय बना दिया।
स्वस्थ समाज की ओर एक कदम
यह निःशुल्क चिकित्सा शिविर न केवल आयुर्वेद के प्रति जागरूकता फैलाने में सफल रहा, बल्कि उरई की जनता को स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा भी दी। जिलाधिकारी के नेतृत्व में यह आयोजन आयुर्वेद को जन-जन की जीवनशैली का हिस्सा बनाने की दिशा में एक शानदार पहल साबित हुआ।







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