उरई (जालौन), 23 सितम्बर | उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार मंगलवार को जिला कारागार में एक प्रभावशाली विधिक साक्षरता शिविर और साप्ताहिक निरीक्षण का आयोजन हुआ। अपर जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती पारुल पँवार ने कारागार की बैरकों का दौरा कर बन्दियों की समस्याओं को सुना और जेल प्रशासन को त्वरित समाधान के लिए दिशा-निर्देश दिए। इस अवसर पर जेल प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
जमानत में देरी पर सख्त रुख, रिहाई के लिए त्वरित कार्रवाई
निरीक्षण के दौरान श्रीमती पँवार ने उन बन्दियों पर विशेष ध्यान दिया, जिनकी जमानत सक्षम न्यायालय से स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन जमानतगीर न होने के कारण वे कारागार में ही हैं। उन्होंने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि ऐसे बन्दियों की सूची तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजी जाए, ताकि प्रभावी पैरवी के माध्यम से उनकी शीघ्र रिहाई सुनिश्चित हो। साथ ही, आर्थिक रूप से कमजोर बन्दियों की जमानत जिला अधिकार प्राप्त समिति, जालौन के माध्यम से कराने के लिए कदम उठाने को कहा।
महिला बन्दियों और बच्चों की देखभाल पर जोर
श्रीमती पँवार ने बन्दियों के मुकदमों की पैरवी, विधिक सहायता, और महिला बन्दियों व उनके साथ रह रहे बच्चों की चिकित्सा व खान-पान की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि जिन बन्दियों के पास निजी अधिवक्ता नहीं हैं या जिनके मामले में पैरवी में कमी है, उन्हें विधिक सहायता प्रदान करने के लिए त्वरित कार्यवाही की जाए।
निःशुल्क विधिक सहायता और प्ली बार्गेनिंग पर जागरूकता
शिविर की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती पँवार ने निःशुल्क विधिक सहायता और प्ली बार्गेनिंग पर विस्तृत जानकारी दी। असिस्टेंट-प्रथम एलएडीसी अभिषेक पाठक ने बताया कि संविधान का अनुच्छेद 39A गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त विधिक सहायता की गारंटी देता है, जबकि अनुच्छेद 14 और 22(1) कानून के समक्ष समानता और न्याय सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने प्ली बार्गेनिंग की अवधारणा को रेखांकित करते हुए कहा कि यह लंबी सुनवाई से बचाकर समय और संसाधनों की बचत करता है, जिसका लाभ अभियोजन और आरोपी दोनों को मिलता है। भारत में यह व्यवस्था आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत शुरू हुई थी।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में कारापाल प्रदीप कुमार, चिकित्साधिकारी डॉ. राहुल बर्मन, उप कारापाल अमर सिंह और रामलखन, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के लिपिक शुभम शुक्ला उपस्थित रहे। यह शिविर न केवल बन्दियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि उनकी रिहाई और विधिक सहायता के लिए ठोस कदम उठाने का मार्ग भी प्रशस्त किया।
न्याय की राह पर एक कदम और
श्रीमती पारुल पँवार के नेतृत्व में यह आयोजन जिला कारागार में बन्दियों के लिए नई उम्मीद की किरण बना। उनके कड़े निर्देशों और संवेदनशील रुख ने यह स्पष्ट किया कि उरई में विधिक सेवा प्राधिकरण सामाजिक न्याय और बन्दियों के कल्याण के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है।







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