धूमधाम से निकली महाराजा अग्रसेन की शोभायात्रा, शहर गूंजा जयकारों से

उरई |  महाराजा अग्रसेन जयंती के पावन अवसर पर श्री महाराजा अग्रसेन सेवा ट्रस्ट एवं नवयुवक मंडल द्वारा सोमवार को एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसने उरई के बाजारों और चौराहों को उत्साह और भक्ति की लहर से सराबोर कर दिया। धर्मशाला में विधिवत पूजन के साथ शुरू हुई यह यात्रा सरंक्षक ओम प्रकाश अग्रवाल के नेतृत्व में निकली, जो अग्रवाल समाज की एकजुटता और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत प्रतीक बनी।

पुष्पवर्षा और जयकारों से गूंजा शहर
यात्रा में पदाधिकारियों ने अतिथियों का पगड़ी बांधकर पारंपरिक स्वागत किया। हर बाजार और चौराहे पर पुष्पवर्षा की गई, जिससे पूरा इलाका अग्रसेन महाराज के जयकारों से गूंज उठा। घोड़ों पर सवार युवाओं की टोली ने आकर्षण बढ़ाया, तो विभिन्न देवी-देवताओं की मनमोहक झांकियां यात्रा को और भी दिव्य बना दिया। बाजारों में स्वागत द्वार और जलपान की व्यवस्था ने यात्रियों का हार्दिक स्वागत किया। सभी अग्रवाल बंधुओं ने एक-दूसरे को जयंती की बधाई दी, जो समुदाय की एकता का सुंदर चित्रण था।

सेवा का नारा: एक ईंट, एक रुपया
कार्यक्रम के दौरान उमेश अग्रवाल और प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि महाराजा अग्रसेन ने ‘एक ईंट और एक रुपया’ का नारा देकर जरूरतमंदों की सहायता का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट द्वारा लगातार लोगों की मदद की जा रही है। अग्रसेन महाराज की कुलदेवी महालक्ष्मी हैं, जिनकी कृपा से भक्तों पर धन और समृद्धि की वर्षा होती रहती है। यह यात्रा न केवल भक्ति का उत्सव थी, बल्कि सेवा और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक भी बनी।

ये प्रमुख व्यक्ति रहे उपस्थित
इस भव्य आयोजन में संरक्षक ओमप्रकाश अग्रवाल, कार्यक्रम अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल (नीटू), नगर पालिका जालौन अध्यक्ष प्रतिनिधि पुनीत मित्तल, शरद अग्रवाल, आशीष कुमार, आदित्य अग्रवाल, गौरव अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, प्रवीण अग्रवाल, मानस अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, दीपेश अग्रवाल, मयंक अग्रवाल, वैभव अग्रवाल, अनमोल अग्रवाल, विशाल अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, मयूरेश अग्रवाल, पुनीत गोयल, धीरज अग्रवाल, संजय अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल, सौरभ मित्तल, शुभम अग्रवाल आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

समाज की एकता का प्रतीक
यह शोभायात्रा महाराजा अग्रसेन के आदर्शों—सेवा, समानता और समृद्धि—को जीवंत करने का एक शानदार प्रयास साबित हुई। उरई की गलियों में गूंजे जयकारों ने न केवल अग्रवाल समाज को एकजुट किया, बल्कि पूरे शहर को सांस्कृतिक उत्साह की लहर में डुबो दिया। यह आयोजन आने वाले वर्षों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।

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