सुल्तानपुर, 23 सितम्बर | राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर सुल्तानपुर के दुबेपुर ब्लॉक सभागार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एकल अभियान और आरोग्य योजना के तत्वावधान में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. प्रवीण सिंह जादौन (निदेशक, राज्य निर्माण सहकारी संघ, उत्तर प्रदेश), मुख्य वक्ता विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अखिलेश प्रताप सिंह, आयुर्वेदाचार्य डॉ. एस.के. श्रीवास्तव और विश्व हिंदू परिषद की जिला अध्यक्ष डॉ. निशा सिंह ने शिरकत की।
आयुर्वेद: चिकित्सा से बढ़कर जीवनशैली
मुख्य अतिथि डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा, “आयुर्वेद केवल बीमारियों का इलाज नहीं, बल्कि स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने की भारतीय कला है। इसे दैनिक जीवन में अपनाकर हम रोगमुक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं।” उन्होंने आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़कर हर घर तक पहुँचाने और इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने का आह्वान किया।
प्राचीन ज्ञान को पुनर्जनन की जरूरत
मुख्य वक्ता श्रीप्रकाश ने प्राचीन भारत की गुरुकुल प्रणाली और आयुर्वेद की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, “मुगलों और अंग्रेजों ने हमारी संस्कृति और ज्ञान को कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन अब समय है कि हम अपनी जड़ों से जुड़ें और नई पीढ़ी को आयुर्वेद का महत्व समझाएँ।”
महिला स्वास्थ्य और आयुर्वेद
विशिष्ट वक्ता डॉ. निशा सिंह ने महिलाओं के स्वास्थ्य में आयुर्वेद की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार महिलाओं के जीवन को सरल और स्वस्थ बना सकते हैं।” वहीं, आयुर्वेदाचार्य डॉ. एस.के. श्रीवास्तव ने आयुर्वेद की वैज्ञानिकता को रेखांकित करते हुए इसके व्यावहारिक उपयोग पर विस्तार से चर्चा की।
ग्रामीण जागरूकता में मील का पत्थर
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, “ऐसे आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं।” कार्यक्रम में सहकार भारती के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अशोक कुमार श्रीवास्तव, आंचल समिति से अनिल सिंह, लालकृष्ण, आंचल प्रमुख बृजेश सिंह, सुनील कुमार, सुरेश कुमार, राकेश कुमार, विजय कुमार, अनु, कविता, संगीता, शिवराम सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।जीवनशैली में आयुर्वेद का संकल्प
यह कार्यक्रम न केवल आयुर्वेद के प्रति जनजागरूकता फैलाने में सफल रहा, बल्कि उपस्थित लोगों में इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने का उत्साह भी जगाया। आयुर्वेद को आधुनिक युग में प्रासंगिक बनाने की दिशा में यह आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।







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