उरई ।

जनपद जालौन में मनरेगा कार्यों में भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम जारी है। विकास खंड माधौगढ़ की ग्राम पंचायत जैतपुरा में करोड़ों की योजनाएं कागजों पर पूरी दिखा दी जाती हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सरकारी धन की बंदरबांट प्रधान और सचिव की मिलीभगत से हो रही है, वहीं विभागीय अधिकारी मूक दर्शक बने बैठे हैं।

चकबंदी निर्माण में फर्जीवाड़ा

जैतपुरा ग्राम पंचायत के नासिर के खेत से जग्गू के खेत तक चकबंदी निर्माण (वर्क कोड 313800 3028LD 958486255824642111, मास्टर रोल नंबर 6160) में 73 मजदूरों को दर्ज किया गया है। लेकिन हकीकत यह है कि मजदूर केवल खाली तसला लिए खड़े दिखाई देते हैं। न तो मिट्टी काटी गई और न ही ढुलाई की गई।

इसी तरह मरघट से कुंडऊ तक चकबंदी निर्माण के लिए 11 मास्टर रोल में 105 मजदूर दर्ज किए गए हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों अलग-अलग कार्यों की तस्वीर एक ही अपलोड कर दी गई है। यह साफ संकेत है कि पूरा खेल कागजों और फोटोशॉप पर चल रहा है।

ग्राम प्रधान–सचिव की मिलीभगत

ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान और सचिव की सांठगांठ से यह भ्रष्टाचार हो रहा है। मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाकर लाखों रुपये की निकासी कर ली जाती है। वहीं मजदूरों को वास्तविक काम और मजदूरी से वंचित रखा जा रहा है।

अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल

गांव के लोग आरोप लगा रहे हैं कि शिकायतों के बावजूद विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने से बचते हैं। इससे साफ है कि या तो अधिकारी भ्रष्टाचार में शामिल हैं या फिर मिलीभगत से आंखें मूंदे हुए हैं।

ग्रामीणों में आक्रोश

गांव के लोगों का कहना है कि विकास कार्य सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।

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