कर्मवीर पंडित सुंदरलाल और गणेश शंकर विद्यार्थी स्मृति समारोह का शुभारंभ 

कानपुर। महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा कर्मवीर पंडित सुंदरलाल और गणेश शंकर विद्यार्थी स्मृति समारोह का उद्घाटन जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन के सभागार में हुआ। यह समारोह एक माह 25 अक्तूबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

*कर्मवीर सुंदरलाल : राष्ट्रवादी पत्रकारिता के अग्रदूत*

कर्मवीर पंडित सुंदरलाल स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी, राष्ट्रवादी पत्रकारिता के अग्रदूत, इतिहासकार और समन्वयवादी चिंतक थे। वायसराय लॉर्ड हार्डिंग बम कांड के बाद वे स्वामी सोमेश्वरानंद और मौलवी अमीर अहमद के नाम से वर्षों तक अज्ञात रहे। उन्होंने झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व किया और नमक सत्याग्रह में ‘डिक्टेटर’ रहे। वे आठ बार जेल भी गए।

उन्होंने स्वराज, कर्मयोगी, भविष्य, विश्ववाणी और नया हिंद का संपादन कर मिशनरी पत्रकारिता को जीवित रखा। उनकी पुस्तक ‘भारत में अंग्रेजीराज’ ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। वे संविधान सभा के सदस्य रहे और विश्व शांति परिषद के अध्यक्ष के रूप में दुनिया के कई देशों में आमंत्रित हुए। सुंदरलाल जी ने 50 से अधिक महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं और कई भाषाओं में पारंगत रहे।

*कानपुर से गहरा नाता* 

कानपुर से सुंदरलाल जी का विशेष लगाव रहा। उन्होंने ही गणेश शंकर को ‘विद्यार्थी’ उपनाम दिया। 1909 में जब उन्होंने प्रयाग से कर्मयोगी निकाला तो विद्यार्थी जी उसके सहायक संपादक बने। स्वराज अखबार को भी लंबे समय तक उन्होंने संभाला। विद्यार्थी जी के बलिदान के बाद बनी जांच समिति के वे सचिव रहे। वे कई बार कानपुर आए और प्रताप भवन में ठहरे। 1974 में कानपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया।

 *प्रदर्शनी और चर्चा सत्र*

समारोह में कर्मवीर सुंदरलाल से जुड़े पत्र, डायरियाँ, टेलीग्राम, स्मृति-चिह्न, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें और तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई। कई मूल दस्तावेज पहली बार जनता के सामने आए। उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर आकाशवाणी निदेशालय द्वारा सुंदरलाल जी पर आधारित ऑडियो डॉक्यूमेंट्री प्रस्तुत की गई।

*अतिथियों के विचार* 

समारोह के अतिथि कैलाश नाथ त्रिपाठी ने कहा—

“मैं पंडित नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री जैसी हस्तियों से मिला हूँ, अफसोस है कि पंडित सुंदरलाल जी से नहीं मिल सका। विद्यार्थी जी जैसे व्यक्तित्व को गढ़ने वाले पं. सुंदरलाल को विद्यार्थियों के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए।”

कर्मवीर सुंदरलाल के दत्तक पौत्र अनवर नक़वी ने कहा—

“बाबा के निधन पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने अंतिम संस्कार का खर्च उठाने की पेशकश की थी, लेकिन पापा ने कहा—क्या कोई पुत्र अपने पिता की अंतिम यात्रा का खर्च सरकार से ले सकता है? बाबा के कहे को कोई भी टालता नहीं था, क्योंकि वे हमेशा सत्य ही कहते थे।”

इतिहासकार देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि सुंदरलाल ऐसे महान पत्रकार थे जो क्रांतिकारियों को सुरक्षा देते थे और उनकी कलम अंग्रेजी शासन के खिलाफ आग उगलती थी।

‘पं. सुंदरलाल और कानपुर’ विषय पर प्रखर श्रीवास्तव ने चर्चा की। समारोह की अध्यक्षता डॉ. धीरज शर्मा ने की।

 *पत्रकारिता विश्वविद्यालय की माँग* 

‘कर्मयोगी सुंदरलाल केंद्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय’ की स्थापना की माँग को लेकर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया। महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने माँग पत्र का वाचन किया। उपस्थित सभी अतिथियों और समुदाय के लोगों ने हस्ताक्षर कर सहमति दी। यह माँग पत्र समारोह के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा जाएगा।

 *आयोजन और संचालन* 

समारोह का संचालन डॉ. कुलदीप गंगवार ने किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से क्रांति कुमार कटियार, प्रखर श्रीवास्तव, देव कबीर, उत्कर्ष श्रीवास्तव, ईशान वाजपेयी, कुंवर जीत, हर्षित सिंह,  धीरेंद्र सिंह भदोरिया, सूरज रेखा त्रिपाठी (एडवोकेट), अजमेर सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Leave a comment

I'm Emily

Welcome to Nook, my cozy corner of the internet dedicated to all things homemade and delightful. Here, I invite you to join me on a journey of creativity, craftsmanship, and all things handmade with a touch of love. Let's get crafty!

Let's connect

Recent posts