उरई, 14 अक्टूबर 2025: दलित सम्मान व न्याय केंद्र ने अपने स्थापना के दो वर्ष पूरे होने पर जालौन जिले में “न्याय तक पहुँच अभियान” के तहत उल्लेखनीय कार्यों को रेखांकित किया। केंद्र ने दलित अत्याचार, पॉक्सो, और महिला हिंसा के मामलों में पीड़ितों को मुफ्त कानूनी सहायता और कोर्ट में पैरवी प्रदान कर सम्मानपूर्ण न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस अवसर पर उरई के पुलिस लाइन, बघौरा स्थित केंद्र कार्यालय में समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें पिछले दो वर्षों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया गया।दो वर्षों की उपलब्धियाँपिछले दो वर्षों में केंद्र ने 177 केस रजिस्टर्ड किए, जिनमें:
- 87 दलित अत्याचार (एससी/एसटी) मामले,
- 17 पॉक्सो मामले,
- 45 महिला हिंसा के मामले शामिल हैं।
इन मामलों में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और हाईकोर्ट स्तर पर केंद्र द्वारा पैरवी की जा रही है। इसके अतिरिक्त, जालौन जिले की पांच तहसीलों (उरई, कालपी, कोंच, जालौन, माधौगढ़) की 160 पंचायतों में 205 पैरालीगल वॉलंटियर्स/दलित मानवाधिकार रक्षक तैयार किए गए, जिनमें से 82 को कानूनी और नेतृत्व प्रशिक्षण दिया गया। केंद्र ने 56 गंभीर मामलों की तथ्य-जांच (फैक्ट-फाइंडिंग) की और 44 जागरूकता शिविरों के माध्यम से लोगों को विधिक जानकारी और सरकारी योजनाओं तक पहुंच प्रदान की। इन प्रयासों से 1795 दलित और वंचित समुदाय के लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिला।केंद्र का वर्तमान फोकसइस वर्ष केंद्र ने दहेज उत्पीड़न और महिला हिंसा से संबंधित 500 से अधिक मामलों पर शोध शुरू किया है। केंद्र के संस्थापक और संयोजक एडवोकेट कुलदीप कुमार बौद्ध ने कहा, “हमारा लक्ष्य प्रत्येक पीड़ित को सम्मानपूर्ण न्याय दिलाना है। केंद्र गाँव-गाँव तक कानूनी जागरूकता पहुँचा रहा है और एससी/एसटी एक्ट, पॉक्सो एक्ट, और महिला हिंसा से संबंधित कानूनों के कार्यान्वयन पर शोध कर रहा है।”चुनौतियाँ और सामुदायिक प्रभावलीगल टीम की समन्वयक एडवोकेट रश्मि वर्मा और एडवोकेट निखत परवीन ने कोर्ट में पैरवी के दौरान आने वाली चुनौतियों को साझा किया। तहसील प्रतिनिधियों जैसे प्रदीप हरकोटी (उरई), सचिन चौधरी (माधौगढ़), स्नेषराजा (कोंच), उषा देवी (जालौन), और अनीता (कालपी) ने गाँवों की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लोग सरकारी योजनाओं और न्याय के लिए भटक रहे हैं, लेकिन केंद्र के प्रयासों से दलित और वंचित समुदाय में न्याय की उम्मीद जगी है।अपील और भविष्य की योजनाएडवोकेट कुलदीप बौद्ध ने कहा, “दलित सम्मान व न्याय केंद्र पीड़ितों के लिए भरोसे का प्रतीक बन रहा है। हमारा अभियान गाँव-गाँव तक जाएगा ताकि हर व्यक्ति को कानून की समझ हो और न्याय मिले।” केंद्र ने सभी से “न्याय तक पहुँच अभियान” से जुड़ने की अपील की है।निष्कर्षदलित सम्मान व न्याय केंद्र न केवल कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है, बल्कि सामुदायिक जागरूकता और सरकारी योजनाओं तक पहुंच के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बना रहा है। दो वर्षों में केंद्र ने न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद की, बल्कि युवा अधिवक्ताओं और स्वयंसेवकों को भी इस अभियान से जोड़ा है, जो भविष्य में और प्रभावी परिणाम लाने की उम्मीद जगाता है।







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