अमेरिका के न्यूयार्क में नया प्रणेता गवर्नर


अमेरिका के न्यूयार्क सिटी के मेयर के चुनाव में जोहरान ममदानी का निर्वाचित होना बड़ी घटना है। ममदानी मुसलमान है और कई मुददों पर उनके बयानों में इस्लामिक गोलबंदी का असर झलकता रहा है। वे कारपोरेट जगत पर ज्यादा टैक्स लगाकर संसाधन बढ़ाने और उसका लाभ आम लोगों के जीवन को अधिक सुविधा जनक बनाने वाली नीतियों की पैरवी करते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनके निर्वाचन को रोकने के लिए मेयर के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इसके बावजूद वे अपने को चुनवाने में सफल रहे। निश्चित रूप से यह उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि है।
जोहरान ममदानी के पिता महमूद ममदानी मूल रूप से युगांडा के रहने वाले हैं जबकि मां मीरा नायर भारतीय मूल की जानी-मानी फिल्म निर्देशक हैं जिनके खाते में सलाम बॉबें फिल्म का निर्माण दर्ज है। यह फिल्म सर्वोत्तम विदेशी भाषी फिल्म श्रेणी में आस्कर अवार्ड के लिए नामांकित हुई थी। जोहराम ममदानी का जन्म अपने पिता के घर युगांडा में हुआ था। इसलिए शुरू में वे वहीं के नागरिक थे। बाद में उनके पिता कोलंबिया विश्व विद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त हो गये और अमेरिका में ही बस गये तो जोहरान ममदानी भी अमेरिकी नागरिक बन गये। जोहराम ममदानी डेमोक्रेटिव पार्टी से जुड़े हैं। 2020 में वे न्यूयार्क राज्य असेंबली के लिए 36वें जिले से सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं।
इस बात पर गौर करिये कि 9/11 के बाद अमेरिका किस कदर मुस्लिम विरोधी भावनाओं की चपेट में आ गया था। 2001 में इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा घटित किये गये इस कांड में कई अमेरिकनों ने अपनों को खोया था। इसके बाद लंबे समय तक अमेरिका में मुसलमान शक की निगाह से देखे जाते रहे। सुरक्षा के नाम पर व्यवस्थायें इतनी कड़ी रहीं कि अमेरिका पहुंचने वाले विदेशी वीवीआईपी तक चैकिंग के शिकार बने। भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिज भी इस अमेरिकी सुरक्षा चैकिंग के उन्माद में फंस गये थे। उनके पूरे कपड़े उतरवाकर जांच की गयी थी जिसमें उस समय की सरकार को काफी शर्मसार होना पड़ा था। लेकिन अमेरिका अब बहुत जल्द ही उस कांड के कटु अनुभव से उबर चुका है। ऐसा न होता तो ममदानी का न्यूयार्क का मेयर बन पाना संभव नही होता। इतने बड़े आघात के बावजूद अमेरिका के लोग मात्र ढाई दशक में सामान्य हो गये यह उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है। कोई देश यूं ही महाशक्ति नही बन जाता। महाशक्ति के लिए दुनियां के हर कोने के लोगों के लिए अपने द्वार खुले रखना और उनके बीच समावेशी व्यवस्था को चलाने की कुव्वत दिखानी पड़ती है। निश्चित रूप से इसे संभव करने के लिए समाज में बहुत ज्यादा आत्मविश्वास की जरूरत होती है जिसे अमेरिकी समाज ने बखूबी अर्जित किया है। भारत आज दुनियां की सबसे अग्रणी महाशक्ति बनने की प्रतिस्पर्धा में अपने को अग्रसर दिखा रहा है तो उसे अमेरिकी समाज के कार्य-व्यवहार के इस आइने में अपना चेहरा जरूर देखना चाहिए।
ममदानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को युद्ध अपराधी बता चुके हैं। एक पत्रकार के अनुसार 2020 में उन्होंने न्यूयार्क में हुए एक ऐसे विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था जिसमें हिंदू मंदिर निर्माण के विरुद्ध नारे लगाये गये थे और यह मामला सामने आने पर उन्होंने इसका सक्रिय खंडन भी नही किया था। इजराइल को वे यहूदी राष्ट्र नही मानते। इंतिफादा और जिहाद जैसे टर्म उनकी शब्दावली का हिस्सा बताये जाते हैं। ऐसे में न्यूयार्क मैट्रो के बहुमत का समर्थन और स्वीकृति अपने लिए जुटा पाना ममदानी के संदर्भ में टेढ़ी खीर था जब न्यूयार्क मैट्रों में वयस्क मुस्लिम आबादी सिर्फ 3 प्रतिशत आंकी जाती है। इसके अलावा ये तथ्य भी गौरतलब है कि न्यूयार्क सिटी की राजनीति अमीर, प्रभावशाली और स्थापित नेताओं-परिवारों के हाथ में रही है जबकि ममदानी के विचार इस यथास्थितिवाद के खिलाफ हैं। वे न्यूयार्क के पहले दक्षिण एशियाई और पहले मुस्लिम मेयर होगें। हालांकि अभी उन्हें कार्यभार संभालने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। उनको मेयर की विधिवत कुर्सी जनवरी 2026 में मिल पायेगी।
न्यूयार्क का ही नही पूरे अमेरिका का मिजाज अभिजनपरस्ती का है। पिछले राष्ट्रपति जो बाइडन तक ने कहा था कि अमेरिका में लोकतंत्र नही कुलीनतंत्र चल रहा है। सरकार को उन्हीं के इशारे पर कानून बनाने पड़ते हैं। यहां तक कि अदालतों के फैसले भी उन्हीं का मुंह देखकर होते हैं। उनका कहने का आशय यह था कि आम लोगों के पास केवल वोट देने का खोखला अधिकार है। व्यवस्था में उनका ऐसा कोई जोर नही है कि राष्ट्रपति और सीनेट उन्हें संतुष्ट रखने की जबावदेही महसूस करें। अमेरिका के ऐसे माहौल में ममदानी बगावती वायदे करके जीत का सेहरा अपने सिर पर सजा सके जो उनकी शानदार कामयाबी कही जा सकती है। उन्होंने साफ कह दिया है कि वे कारपोरेट और ऊंची आय वालों पर टैक्स बढ़ायेगें जिससे आम लोगों को ज्यादा सुविधा दी जा सके। उन्होंने न्यूयार्क में सिटी बस की सेवा को फ्री करने, आवासीय किराये को थाम कर रखने, दो लाख किफायती मकान बनाने, न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी, प्रशासन में मुसलमानों, थर्ड जेंडर, अश्वेत एवं भावी प्रवासी नागरिकों को हिस्सेदारी दिलाने आदि वायदे किये हैं। पुलिस की बजाय सुरक्षा के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों पर आधारित नया विभाग बनाने की भी घोषणा की है लेकिन अपने इन सपनों को मूर्त रूप देने के लिए उन्हें संघीय सरकार और राज्य सरकार से मदद की दरकार होगी। क्या ये सरकारें उनके इन  इरादों की सफलता में सहभागी बन सकेगीं।

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