उरई (जालौन)। संविधान दिवस के अवसर पर बुधवार को नगर पालिका अध्यक्ष आवास पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान “डॉ. अंबेडकर का राष्ट्रवाद एवं बुद्ध सिद्धांतों पर आधारित आधुनिक विवेचनाएं” पुस्तक का विमोचन नगर पालिका अध्यक्ष गिरिजा चौधरी ने किया।
विमोचन के बाद अपने संबोधन में गिरिजा चौधरी ने कहा कि डॉ. आंबेडकर भारतीय समाज के सबसे दलित और वंचित वर्गों के साथ खड़े रहे, जिनकी सार्वजनिक जीवन में कोई आवाज़ नहीं थी। इन वर्गों के सामाजिक एकीकरण से राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन को बल मिला। संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में बाबा साहब ने एक मजबूत राष्ट्र-राज्य की नींव रखी। उन्होंने जातिवाद छोड़कर भारतीयता की बात की और हमेशा देशहित में कार्य किया।
पुस्तक के लेखक डॉ. राजकुमार एवं डॉ. बाबू रामाधीन ने डॉ. आंबेडकर के राष्ट्रवाद और बुद्ध सिद्धांतों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. बाबू रामाधीन ने कहा कि कई लोग सवाल उठाते हैं कि डॉ. आंबेडकर ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या किया या उन्होंने संविधान नहीं बनाया। ये सभी विवादास्पद मुद्दे हकीकत से परे हैं। भारत में बाबा साहब से बड़ा राष्ट्रवादी दूसरा कोई नहीं था।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब डॉ. आंबेडकर खुलना (बंगाल) से चुनाव जीते और देश के बंटवारे के बाद खुलना पाकिस्तान में चला गया, तब उन्हें पाकिस्तान संविधान सभा का सदस्य मनोनीत किया जा सकता था, लेकिन बाबा साहब ने स्पष्ट कहा कि हम भारत भूमि से प्रेम करते हैं और इसे छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। उन्होंने पाकिस्तान संविधान सभा की सदस्यता ठुकरा दी। इससे बड़ा राष्ट्रवाद का प्रमाण क्या हो सकता है?
डॉ. रामाधीन ने आगे कहा कि जब बाबा साहब को लगा कि हिंदू धर्म में उनके लिए स्थान नहीं है, तब भी उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई धर्म नहीं अपनाएंगे जिससे भारत का अहित हो। इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया। यदि वे कोई दूसरा धर्म अपनाते तो आज देश की स्थिति कुछ और होती। भारत भूमि से उनका जुड़ाव और राष्ट्रप्रेम इससे बड़ा कोई प्रमाण नहीं हो सकता।
कार्यक्रम में चेयरमैन प्रतिनिधि विजय चौधरी, यशोधरा दिनकर, सुंदर सिंह शास्त्री, कल्पना महेश, सनी चौहान, डॉ. विकास कुमार, ब्रजेश कुमार, अभिषेक गौतम, दयाराम सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।







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