काकोरी ट्रेन एक्शन से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी देख रोंगटे खड़े हो गए

अयोध्या। महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायकों से संबंधित पत्र, डायरी, टेलीग्राम, स्मृति-चिह्न, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें, तस्वीरें और मुकदमों की फाइलों सहित महत्वपूर्ण दस्तावेजों की प्रदर्शनी जिला कारागार फैजाबाद–अयोध्या के शहीद कक्ष में लगाई गई। कार्यक्रम का आयोजन अशफाक उल्लाह खां मेमोरियल शहीद शोध संस्थान ने किया।

प्रातः दस बजे अशफाक उल्लाह खां की प्रतिमा पर जेलर राजेंद्र कुमार यादव द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर प्रदर्शनी का विधिवत शुभारंभ किया गया। संस्थान के प्रबंध निदेशक सूर्यकांत पांडेय ने कहा कि क्रांतिकारी मूल्यों को नई पीढ़ी तक ले जाने का उद्देश्य ही इस प्रदर्शनी का मकसद है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें आजादी आंदोलन के मूल्यों पर पर्दा डालने की कोशिश करती हैं।

दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि इस तरह के आयोजन नई पीढ़ी को प्रेरित करते हैं और इन्हें नियमित किया जाना चाहिए।

उपनिरीक्षक रणजीत यादव खाकी वाले गुरूजी ने कहा कि काकोरी केस के महानायक अशफाक उल्लाह खां बलिदान दिवस पर पूरी टीम के साथ ऐतिहासिक भागीदारी की जाएगी।

महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के विद्वान डॉ. शाह आलम राना ने काकोरी एक्शन की गौरवशाली विरासत से जुड़े दुर्लभ अभिलेखों पर प्रकाश डालते हुए कारागार में महान क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां की बैरक के सौंदर्यकरण और संरक्षण पर जोर दिया। इस अवसर पर चंद्रेश भारद्वाज ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी।

प्रदर्शनी में सप्लिमेंट्री काकोरी षड्यंत्र केस जजमेंट फाइल, चीफ कोर्ट ऑफ अवध जजमेंट फाइल, प्रिवी काउंसिल लंदन अपील फाइल, अशफाक उल्लाह खां का छात्र रजिस्टर, फैजाबाद कारागार का बंदी विवरण, काकोरी ट्रेन डकैती से प्राप्त धनराशि का रिकॉर्ड, गिरफ्तारी विवरण, अशफाक उल्लाह खां की हस्तलिखित डायरी, चार्जशीट, खुफिया सुपरिटेंडेंट की डायरी, मैनपुरी षड्यंत्र केस में जब्त रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की उत्तरपुस्तिका, वायसराय को भेजी गई अपीलें, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ नज़्म की प्रति, अशफाक और बिस्मिल के पत्र, विभिन्न अख़बारों की ऐतिहासिक रिपोर्टिंग, निशानदेही की तस्वीरें, फांसी के बाद बिस्मिल का पिता के साथ छायाचित्र, काकोरी क्रांतिकारियों का सामूहिक जेल फोटो और अशफाक उल्लाह खां के माउज़र जैसे कई दुर्लभ दस्तावेज प्रदर्शित किए गए, जिन्हें देखकर छात्र, राजनीतिक प्रतिनिधि तथा सामाजिक–सांस्कृतिक जगत के लोग रोमांचित हो उठे।

प्रदर्शनी में डॉ. वंदना त्रिपाठी, केपी सिंह, इंद्रभूषण पांडेय, उमेश सिंह, अरशद अफ़ज़ाल खान, सुनील शास्त्री, जफर इक़बाल, राजेंद्र यादव, राजेंद्र प्रसाद सिंह, अब्दुर्रहमान भोलू, विकास सोनकर, सियाराम यादव, पूर्ण प्रकाश, विश्व प्रताप सिंह अंशु और लड्डू लाल यादव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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