उरई (जालौन)। संविधान दिवस के अवसर पर रविवार को मैत्री बुद्ध विहार, जनपद जालौन में आम्बेडकर महासभा जालौन की जिला स्तरीय बैठक एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान बाबा साहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर के भारतीय संविधान निर्माण में दिए गए अमूल्य योगदान को याद करते हुए सभी ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जिला संयोजक पंकज सहाय ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत भारतीय संविधान ने सदियों की गुलामी और सामंती जंजीरों से देश को मुक्त कर एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य की नींव रखी। उन्होंने कहा कि संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने न्याय, समता और स्वतंत्रता पर आधारित ऐसा दस्तावेज तैयार किया जिसके कारण आज भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और समतामूलक विचारों वाला देश बना हुआ है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि संविधान की मूल भावना को जीवंत रखने के लिए हर नागरिक सजग प्रहरी बने।
जिला महामंत्री नरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि बाबा साहब ही भारतीय संविधान के वास्तविक निर्माता हैं। जो लोग इस तथ्य को नकारते हैं, वे संविधान विरोधी हैं। संविधान में आमजन को समानता का अधिकार देना सामंती मानसिकता वालों को आज भी रास नहीं आ रहा। यही लोग हैं जो देश में भेदभाव, आडंबर और रूढ़िवादिता को जीवित रखे हुए हैं।
जिला उपाध्यक्ष रघुराज सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान ने दलित, शोषित और वंचित समाज को वह अधिकार दिए जो सदियों से उनसे छीने गए थे। समतामूलक समाज की संरचना संविधान लागू होने के बाद ही संभव हो सकी।
जिला कोषाध्यक्ष दया कुमार जाटव ने कहा कि संविधान नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि भ्रष्ट और दूषित मानसिकता वाले लोगों को विधायिका में बैठने से रोकें, ताकि संविधान को घायल करने की मंशा रखने वालों से इसे सुरक्षित रखा जा सके।
विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप से चन्द्रशेखर, इन्द्रकुमार, सुष्मेद्र कुमार, तेजसिंह, मोनू याज्ञिक सहित आम्बेडकर महासभा के कई पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।







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