उरई, 27 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से पूरे देश के लाखों शिक्षक सहमे हुए हैं जिसमें 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को भी दो साल में टीईटी पास न करने पर नौकरी से हटाने का आदेश दिया गया है। इसे अन्याय बताते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (राशैम) ने आज जिला मुख्यालय पर जोरदार हल्ला बोला और सांसद नारायणदास अहिरवार को ज्ञापन सौंपकर संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दा उठाने की गुहार लगाई।
जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंह चौहान के नेतृत्व में पहुँचे प्रतिनिधिमंडल ने सांसद को बताया कि केंद्र सरकार व एनसीटीई की मूल अधिसूचना में 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी कभी अनिवार्य नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने गलत तरीके से पुराने शिक्षकों पर भी यह नियम थोप दिया है, जिससे देशभर के करीब 20 लाख शिक्षक भय और असमंजस में हैं।
जिला महामंत्री इलयास मंसूरी व प्रदेशीय मीडिया प्रमुख बृजेश श्रीवास्तव ने एक स्वर में कहा, “यह शिक्षकों के साथ अन्याय है। केंद्र सरकार को तुरंत विधाई हस्तक्षेप करके 2011 से पहले नियुक्त सभी शिक्षकों की सेवा सुरक्षित करनी चाहिए ताकि वे बिना डर के बच्चों को पढ़ा सकें।”
जिला संगठन मंत्री तनवीर अहमद ने चेतावनी दी कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो शिक्षक समाज सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा। जिला महिला उपाध्यक्ष सरला कुशवाहा ने तर्क दिया कि RTE एक्ट अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तारीख को लागू हुआ था। उत्तर प्रदेश में यह 27 जुलाई 2011 को लागू हुआ, इसलिए राज्यवार कट-ऑफ तय करना ही न्यायसंगत होगा।
ज्ञापन सौंपने वालों में जिला उपाध्यक्ष मु. अय्यूब, मनोज बाथम, सदस्यता प्रभारी रियायत बेग, संयुक्त मंत्री इनाम उल्ला अंसारी, रुचि, उमेश कुमार, शारिक अंसारी, अरविंद निरंजन, अमित यादव, दशरथ सिंह पाल, राजेंद्र सोनी, अवधेश श्रीवास्तव, शिवाजी गुर्जर, नीतेश श्रीवास्तव, पवन कुमार, प्रेमबाबू, अम्बरीष कुमार, कप्तान सिंह, जितेंद्र श्रीवास्तव, शैलेंद्र सिंह चौहान, सौरभ सोनी, कन्हैया लाल कुशवाहा, शिवम श्रीवास्तव, हमीर सिंह पाल सहित सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएँ मौजूद रहे।
महासंघ ने ऐलान किया है कि प्रदेश के सभी सांसदों को यही ज्ञापन दिया जा रहा है और संसद में आवाज नहीं उठी तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। सांसद नारायणदास अहिरवार ने शिक्षकों को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है।







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