उरई (जालौन), 29 नवंबर। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न विश्वनाथ प्रताप सिंह की पुण्यतिथि पर शनिवार को शहर के प्रमुख समाजवादी नेता चौधरी जय करन सिंह के आवास पर एक श्रद्धांजलि सभा एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता स्वयं चौधरी जय करन सिंह ने की।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए डी.वी. कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. आदित्य कुमार ने कहा कि वी.पी. सिंह की नैतिकता, मूल्य-आधारित राजनीति और त्यागपूर्ण जीवन आज भी प्रेरणादायक है। आज के नेताओं को उनके पदचिह्नों पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वी.पी. सिंह ने सत्ता को कभी साध्य नहीं बनने दिया, बल्कि इसे सामाजिक परिवर्तन का साधन बनाया।
वरिष्ठ पत्रकार के.पी. सिंह ने कहा कि वी.पी. सिंह की राजनीति में न्याय भावना सर्वोपरि थी। मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने के उनके फैसले को केवल वोट-बैंक की राजनीति कहकर खारिज करना घोर अन्याय है। यह फैसला सदियों से शोषित-वंचित समाज को मुख्यधारा में लाने का साहसिक कदम था।
ट्रेड यूनियन नेता आदित्य मिश्रा ने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले हर व्यक्ति को अपना दामन पूरी तरह बेदाग रखना चाहिए। इसमें कोई चूक नहीं होनी चाहिए। वी.पी. सिंह ने जीवन भर यही आदर्श सामने रखा रखा।
प्रख्यात समाजवादी चिंतक नेतराम निरंजन ने कहा कि समता और शुचिता राजनीति के दो अनिवार्य तत्व हैं। वी.पी. सिंह इन दोनों कसौटियों पर पूरी तरह खरे उतरे, इसलिए वे महान नेता कहलाने के हकदार हैं।
शिवपाल सिंह निरंजन ने वी.पी. सिंह को सामाजिक परिवर्तन का अग्रदूत बताते हुए कहा कि उन्होंने राजा से रंक बनकर भी समाज के सबसे कमजोर वर्ग की आवाज को बुलंद किया।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख अरुण सिंह सेंगर ने याद दिलाया कि वी.पी. सिंह को कभी पद का मोह नहीं रहा। संयुक्त मोर्चा सरकार के समय उन पर भारी दबाव डाला गया कि वे फिर से प्रधानमंत्री बनें, लेकिन उन्होंने स्पष्ट इंकार कर दिया। यह उनके त्याग का सबसे बड़ा प्रमाण है।
इस अवसर पर डॉ. रामवीर सिंह सेंगर, अंकित दीक्षित, देवेंद्र सिंह आजाद, कैलाश कुमार, दीपक सिंह परिहार सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक एवं समाजवादी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
गोष्ठी के अंत में सभी ने खड़े होकर पूर्व प्रधानमंत्री को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की।







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