एससी/एसटी मामलों में देरी से दाखिल न होने पर चार्जशीट, पीड़ितों का न्याय अधर में लटका

उरई (जालौन), 5 दिसंबर 2025: जालौन जिले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 (एससी/एसटी एक्ट) के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर दलित डिग्निटी एंड जस्टिस सेंटर (डीडीजेएसी) ने सक्रिय कदम उठाया है। संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसपी) डॉ. दुर्गेश कुमार को 62 ऐसे मामलों की सूची सौंपी है, जहां एससी/एसटी पीओए एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर की चार्जशीट समय पर कोर्ट में दाखिल नहीं की गई है। इस देरी से पीड़ित पक्ष न्याय की आस में भटक रहे हैं।

तीन सालों में 254 मामलों का गहन अध्ययन

डीडीजेएसी की टीम ने जिले में पिछले तीन वर्षों (2022 से 2024 तक) में दर्ज 254 एससी/एसटी एक्ट के मामलों पर विस्तृत रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है। अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

श्रेणीमामलों की संख्याविवरण
फाइनल रिपोर्ट (एफआर) दाखिल24ये मामले बंद कर दिए गए।
चार्जशीट दाखिल168कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत।
लंबित मामले (न चार्जशीट, न एफआर)62ई-कोर्ट पर कोई स्टेटस नहीं; 60 से 1000 दिनों से अधिक देरी।

रिपोर्ट के अनुसार, एससी/एसटी एक्ट के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद इन 62 मामलों में चार्जशीट 60 से 90 दिनों के निर्धारित समयसीमा के भीतर दाखिल नहीं की गई। इससे न केवल पीड़ितों को मानसिक और आर्थिक कष्ट हो रहा है, बल्कि कानून का मकसद ही विफल हो रहा है। संगठन के संस्थापक एडवोकेट कुलदीप कुमार बौद्ध ने बताया कि ये सभी मामले विशेष कानून के तहत दर्ज हैं, जहां समयबद्ध जांच और चार्जशीट दाखिल करना अनिवार्य है।

एसपी को सौंपी मांग पत्र, सक्रिय कार्रवाई का आश्वासन

शुक्रवार को डीडीजेएसी के प्रतिनिधिमंडल में एडवोकेट कुलदीप कुमार बौद्ध (हाईकोर्ट, इलाहाबाद), एडवोकेट रश्मि वर्मा, एडवोकेट निकहत परवीन, एडवोकेट कासिम खान, प्रदीप कुमार, सचिन कुमार और आयुष कुमार शामिल थे। उन्होंने एसपी कार्यालय पहुंचकर 62 मामलों की विस्तृत सूची और रिसर्च रिपोर्ट सौंपी। मांग पत्र में इन मामलों में तत्काल जांच तेज करने, चार्जशीट दाखिल करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की गई।

एसपी डॉ. दुर्गेश कुमार ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि इन मामलों में सक्रिय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एससी/एसटी एक्ट के सख्ती से पालन को सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।

‘न्याय तक पहुंच अभियान’ के तहत जागरूकता और पैरवी

डीडीजेएसी का ‘न्याय तक पहुंच अभियान’ (एक्सेस टू जस्टिस कैंपेन) गांव-पंचायत स्तर पर पैरालीगल चैंपियन वॉलंटियर्स (दलित मानवाधिकार रक्षक) तैयार करने पर केंद्रित है। इस अभियान के अंतर्गत:

  • समुदाय को एससी/एसटी एक्ट, पॉक्सो एक्ट और महिला हिंसा से जुड़े कानूनों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
  • दलित अत्याचार, उत्पीड़न की घटनाओं पर फैक्ट-फाइंडिंग और दस्तावेजीकरण।
  • रिसर्च रिपोर्ट तैयार कर विभिन्न स्तरों पर पैरवी।
  • पीड़ितों को सम्मानजनक न्याय दिलाने के लिए कानूनी सहायता।

एडवोकेट कुलदीप बौद्ध ने कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल समुदाय को कानूनी जागरूकता प्रदान करना है, बल्कि एससी/एसटी एक्ट जैसे महत्वपूर्ण कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए साक्ष्य-आधारित अध्ययन करना भी है। आगे और विस्तृत रिसर्च के आधार पर अलग-अलग स्तरों पर पैरवी की जाएगी। प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्ण न्याय मिलना हमारा संकल्प है।”

जिले में दलित उत्पीड़न: एक चुनौती

जालौन जैसे ग्रामीण जिलों में दलित समुदाय पर अत्याचार के मामले आम हैं। डीडीजेएसी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि जांच प्रक्रिया में देरी से न केवल अपराधी बचे रहते हैं, बल्कि पीड़ितों का विश्वास न्याय व्यवस्था पर कम होता जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समयबद्ध जांच के लिए पुलिस को और संसाधन उपलब्ध कराने की जरूरत है।

यह घटना एससी/एसटी एक्ट के क्रियान्वयन में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संगठन ने आह्वान किया है कि जिला प्रशासन सभी लंबित मामलों पर तुरंत ध्यान दे, ताकि कानून का असली उद्देश्य—दलितों की रक्षा—पूरी तरह साकार हो सके।

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