गोरखपुर, 17 दिसंबर। महुआ डाबर संग्रहालय, बस्ती द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायक राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के बलिदान दिवस से ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस तक ‘शहादत से शहादत तक’ शीर्षक से आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ गोरखपुर स्थित रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक स्थल से हुआ।कार्यक्रम का उद्घाटन जेलर अरुण कुमार कुशवाहा ने शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया। इसके बाद दुर्लभ ऐतिहासिक दस्तावेजों की प्रदर्शनी का अवलोकन कराया गया। मुख्य अतिथि अरुण कुमार कुशवाहा ने कहा कि क्रांतिकारियों का बलिदान केवल इतिहास नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रेरक शक्ति है, जिसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना हमारी साझा जिम्मेदारी है।जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडे ने काकोरी ट्रेन एक्शन से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए तथा चर्चा सत्र में सक्रिय भागीदारी की। नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य एवं पार्षद विजेंद्र अग्रही मंगल ने कार्यक्रम का परिचय देते हुए आमजन से ऐसे आयोजनों से जुड़ने की अपील की।चर्चा सत्र में डॉ. पवन कुमार, ऋषि विश्वकर्मा, हरगोविंद प्रवाह, मारुतिनंदन चतुर्वेदी, सुरेंद्र कुमार, संजू चौधरी, सलमान, विकास निषाद, ध्वज चतुर्वेदी, आकाश विश्वकर्मा, दीपक शर्मा, इमरान खान, अरसद, असलम सहित कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम का संचालन संयोजक अविनाश कुमार गुप्ता ने किया। उन्होंने बताया कि 18 एवं 19 दिसंबर को यह आयोजन प्रयागराज (इलाहाबाद) में ठाकुर रोशन सिंह एवं चंद्रशेखर आजाद की स्मृति में आयोजित होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज रामप्रसाद बिस्मिल एवं उनके साथियों के विचारों, योजनाओं तथा बलिदान को सही संदर्भ में स्मरण करना आवश्यक है। काकोरी एक्शन एवं भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का वास्तविक इतिहास जानना नई पीढ़ी का अधिकार है, ताकि वे समझ सकें कि आजादी की नींव कितने अनमोल बलिदानों पर खड़ी है।चर्चा सत्र में भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के विद्वान एवं महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राणा ने रामप्रसाद बिस्मिल की वंशावली पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बिस्मिल के परदादा ठाकुर अमान सिंह तोमर राजपूत थे तथा उनका जन्म 11 जून 1897 को ननिहाल में हुआ था। उनके व्यक्तित्व में क्रांतिकारी सेनानायक, लेखक, अनुवादक, शायर, वक्ता एवं रणनीतिकार जैसे बहुआयामी गुण समाहित थे।प्रदर्शनी में सप्लीमेंट्री काकोरी षड्यंत्र केस की जजमेंट फाइल, प्रिवी काउंसिल लंदन की अपील फाइल, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ की मूल प्रति, क्रांतिकारियों की हस्तलिखित डायरियां, फांसी के बाद की दुर्लभ तस्वीरें सहित अनेक ऐतिहासिक दस्तावेज प्रदर्शित किए गए।महुआ डाबर संग्रहालय 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महुआ डाबर गांव को समर्पित है। 1999 में स्थापित इस संग्रहालय में 200 से अधिक छवियां एवं सैकड़ों अभिलेखीय कलाकृतियां संरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के तहत इसे स्वतंत्रता संग्राम सर्किट में शामिल किया गया है।

Leave a comment

I'm Emily

Welcome to Nook, my cozy corner of the internet dedicated to all things homemade and delightful. Here, I invite you to join me on a journey of creativity, craftsmanship, and all things handmade with a touch of love. Let's get crafty!

Let's connect

Recent posts