SC/ST एक्ट के 62 मामलों में चार्जशीट लंबित, DDJC प्रतिनिधिमंडल ने एसपी जालौन को सौंपा मांगपत्र

उरई।
जनपद जालौन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम–1989 के प्रभावी क्रियान्वयन और इस कानून के तहत दर्ज मुकदमों में समय से चार्जशीट दाखिल न होने का मुद्दा एक बार फिर सामने आया है। इसी को लेकर दलित डिग्निटी एंड जस्टिस सेंटर (DDJC) के प्रतिनिधिमंडल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जालौन डॉ. दुर्गेश कुमार से मुलाकात कर 62 लंबित मामलों की सूची के साथ एक मांगपत्र सौंपा और शीघ्र कार्रवाई की मांग की।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एडवोकेट कुलदीप कुमार बौद्ध (हाईकोर्ट, इलाहाबाद) ने किया। उनके साथ एड. रश्मि वर्मा, एड. निकहत परवीन, एड. कासिम खान, प्रदीप कुमार, सचिन कुमार, आयुष कुमार सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।

DDJC टीम द्वारा प्रस्तुत अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में जनपद जालौन में SC/ST एक्ट के तहत कुल 254 एफआईआर दर्ज की गईं। इनमें से

  • 24 मामलों में फाइनल रिपोर्ट (FR) लगाई गई,
  • 168 मामलों में आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल की गई,
  • जबकि 62 ऐसे मामले हैं, जिनमें अब तक न तो चार्जशीट और न ही फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई है।

इन 62 मामलों का ई-कोर्ट सेवा पोर्टल पर भी कोई स्टेटस उपलब्ध नहीं है, जबकि सभी मामले विशेष कानून SC/ST POA Act के अंतर्गत दर्ज हैं। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि प्रत्येक मामले में 60 से 90 दिनों के भीतर चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की जानी चाहिए, लेकिन इन मामलों में 60 दिन से लेकर 1000 दिन तक का समय बीत चुका है, जिससे पीड़ित न्याय के लिए भटकने को मजबूर हैं।

DDJC ने सभी लंबित मामलों का विस्तृत विवरण और अपनी स्टडी रिपोर्ट एसपी जालौन को सौंपते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और मामलों के शीघ्र निस्तारण की मांग की। इस पर एसपी जालौन डॉ. दुर्गेश कुमार ने प्रकरणों की समीक्षा कर उचित एवं शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर बताया गया कि दलित डिग्निटी एंड जस्टिस सेंटर (DDJC) द्वारा वर्तमान में “न्याय तक पहुँच अभियान (Access to Justice Campaign)” चलाया जा रहा है। इसके तहत गांव व पंचायत स्तर पर पैरालीगल चैम्पियन वालंटियर्स (दलित मानवाधिकार रक्षक) तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें न्याय प्रणाली और विभिन्न कानूनों का प्रशिक्षण देकर समुदाय को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही जिले में घटित दलित अत्याचार, उत्पीड़न, पॉक्सो और महिला हिंसा से जुड़े मामलों की फैक्ट फाइंडिंग, दस्तावेजीकरण और रिसर्च रिपोर्ट तैयार कर पीड़ितों को सम्मानपूर्वक न्याय दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।

DDJC के संस्थापक एड. कुलदीप कुमार बौद्ध ने कहा कि संगठन एक ओर समुदाय को कानून के प्रति जागरूक कर रहा है, वहीं दूसरी ओर महत्वपूर्ण कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन पर रिसर्च और अध्ययन भी कर रहा है। SC/ST एक्ट पर की गई इस रिसर्च की फाइंडिंग साझा की गई है ताकि कानून का सही तरीके से पालन हो सके। उन्होंने बताया कि आगे और विस्तृत अध्ययन, साक्ष्यों व रिपोर्ट के आधार पर विभिन्न स्तरों पर पैरवी की जाएगी, जिससे हर पीड़ित को सम्मानपूर्ण न्याय मिल सके।

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