
उरई।
सिद्धपीठ ठड़ेश्वरी मंदिर उरई में वर्ष 2005 से लगातार नववर्ष के शुभागमन पर आयोजित हो रहे धार्मिक अनुष्ठानों की श्रृंखला के अंतर्गत भक्ति और श्रद्धा का अनुपम दृश्य देखने को मिल रहा है। सिद्धपीठ के महंत श्री सिद्ध रामदास महामंडलेश्वर जी के पावन सानिध्य में चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों में रासलीला के उपरांत चौथे दिन रामकथा और श्रीमद्भागवत कथा का भावपूर्ण वाचन किया गया।
राम जन्मोत्सव और सीता विवाह की कथा से श्रोता मंत्रमुग्ध
मंगलवार को मध्यान्ह 12 बजे से 2 बजे तक आचार्य पं. श्रीकांत मिश्र जी ने अपने मुखारविंद से भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव एवं माता सीता के साथ उनके शुभ विवाह की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। उनकी ओजस्वी वाणी और भावपूर्ण प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा श्रवण के दौरान पूरा मंदिर परिसर ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से गूंज उठा।
श्रीमद्भागवत कथा में वामन अवतार और श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग
वहीं अपराह्न 2 बजे से 5 बजे तक आचार्य पं. श्री पुष्पेंद्र द्विवेदी जी ने श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन दानी राजा बलि और भगवान वामन के प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान वामन ने तीन पग भूमि दान में मांगकर समस्त राजपाट दान में ले लिया। इसके पश्चात वसुदेव-देवकी विवाह, कंस की क्रूरता और आकाशवाणी के माध्यम से देवकी के आठवें पुत्र द्वारा कंस वध की भविष्यवाणी का प्रसंग सुनाया गया।
आचार्य द्विवेदी जी ने देवकी के आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की कथा का ऐसा सजीव वर्णन किया कि श्रोता भाव-विभोर हो उठे और पूरा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया।
प्रतिदिन निर्धारित समय पर होगी कथा
आयोजकों ने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन
- दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक श्रीराम कथा
- अपराह्न 2 बजे से 5 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा
का आयोजन किया जा रहा है।
31 दिसंबर तक चलेगा आयोजन, 1 जनवरी को हवन व विशाल भंडारा
सिद्धपीठ ठड़ेश्वरी मंदिर में श्रीराम कथा और श्रीमद्भागवत कथा का यह आयोजन 31 दिसंबर तक चलेगा। इसके समापन पर 1 जनवरी 2026 को विधि-विधान से हवन-पूजन के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
श्रद्धालुओं से कार्यक्रम में सहभागिता की अपील
कार्यक्रम के यजमान पारीक्षित श्री अजय बाजपेई एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता बाजपेई ने समस्त श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर धार्मिक आयोजनों का पुण्य लाभ प्राप्त करें।
महंत श्री सिद्ध रामदास महामंडलेश्वर जी ने भी भक्तजनों से आग्रह किया कि वे इन पावन धार्मिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर अपने जीवन को धर्ममय एवं धन्य बनाएं।







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