शब्दों की साधना और सम्मान की गरिमा से सजा सिटी सेंटर

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में काव्य की धार, समाजसेवियों को मिला सार्वजनिक सम्मान

उरई |
सिटी सेंटर उरई का वातावरण रविवार को साहित्य, संवेदना और सामाजिक सरोकारों से सराबोर हो उठा, जब जय मातेश्वरी समिति के तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में शब्दों ने श्रोताओं के मन को छुआ और कर्मशील व्यक्तित्वों को समाज के समक्ष आदरपूर्वक नमन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यज्ञदत्त त्रिपाठी, पूर्व बार संघ अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज की आत्मा का आईना होता है। जब कविता सामाजिक चेतना से जुड़ती है, तब वह परिवर्तन का माध्यम बनती है।

मुख्य अतिथि डॉ. प्रशांत निरंजन, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज उरई ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य और सेवा दोनों ही मनुष्यता के मूल स्तंभ हैं। उन्होंने ऐसे आयोजनों को समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला बताया।
विशिष्ट अतिथियों के रूप में विजय चौधरी (पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष/अध्यक्ष प्रतिनिधि), डॉ. आर.पी. सिंह (वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक) एवं रघुवीर शरण शिवहरे (अध्यक्ष, शिवहरे समाज) की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और ऊँचाई दी।

सेवा, संस्कृति और संवेदना के प्रतीक हुए सम्मानित

समारोह का भावनात्मक क्षण तब आया जब जिले के चार ऐसे व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया, जिनका जीवन समाज के लिए प्रेरणा बन चुका है।
प्राकृतिक कृषि और चंदन की खेती को बढ़ावा देने वाले किसान क्लब अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण चतुर्वेदी (सालाबाद),
उरई जनपद की सर्वाधिक रक्तदान करने वाली महिला डॉ. ममता स्वर्णकार,
वरिष्ठ समाजसेवी एवं एस.आर. ग्रुप के निदेशक अशोक राठौड़,
तथा बुंदेली भाषा-संस्कृति के संवर्धन में जुटे हरिमोहन पुरबार एवं उनकी धर्मपत्नी संध्या पुरबार को मंच पर सम्मान प्रदान किया गया।

संस्था के अध्यक्ष श्री प्रदीप दीक्षित एवं उपाध्यक्ष डॉ. सलिल तिवारी ने माला, शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित व्यक्तित्वों के योगदान को समाज के सामने रेखांकित किया।

कविता बनी संवाद, तालियों में गूंजा रस

कवि सम्मेलन में विभिन्न प्रदेशों से आए वरिष्ठ कवि, शायर और कवयित्रियों ने ओज, श्रृंगार, हास्य-व्यंग्य और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रचनाएं प्रस्तुत कीं। मंच से निकले शब्दों ने कभी हँसाया, कभी सोचने पर मजबूर किया और कभी भीतर तक संवेदना जगा दी।
हर रचना पर उठती तालियाँ इस बात का प्रमाण थीं कि कविता आज भी जनमानस की धड़कन से जुड़ी हुई है।

साहित्य और समाज के बीच सेतु

कार्यक्रम के समापन पर आयोजकों ने कहा कि ऐसे आयोजन समाज में साहित्यिक चेतना के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का भाव भी जागृत करते हैं। सिटी सेंटर उरई में यह आयोजन केवल एक कवि सम्मेलन नहीं, बल्कि संवेदना, सम्मान और संस्कारों का उत्सव बन गया।

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