उरई। माधौगढ़ ब्लाक की ग्राम पंचायत परावर में व्याप्त अनियमितताओं की ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायतों की जांच के लिए पहुंचे उप जिलाधिकारी के सामने दर्जनों ग्रामीणों ने बेबाक होकर बयान दिये जिससे उजागर हुआ कि ग्रामीण स्तर पर स्वशासन जरूरतमंद लोगों की मदद करने और विकास की रोशनी को धरातल तक फैलाने की भूमिका अदा करने की बजाय प्रधान और सचिव के मालामाल होने की जुगत साबित हो रहा है जिस पर अंकुश लगाने की इच्छा न शासन में है और न प्रशासन में।
जांच के दौरान अजमेर सिंह चैहान, योगेन्द्र सिंह, जगराम सिंह, अरविन्द सिंह, महेन्द्र सिंह, रामऔतार सिंह, परशुराम मिहीलाल, भारत सिंह पाल, संतोष सिंह, सुरेन्द्र सिंह पाल, दीपेश सिंह राजावत, सुनील सिंह राजावत, हमीर सिंह, रूस्तम सिंह आदि ने बयान दर्ज कराते हुए खुलासा किया कि गौशाला में आश्रय प्राप्त गौवंशों की प्यास बुझाने के लिए की गई व्यवस्था कुछ दिनों पहले तक पूरी तरह चरमराई हुई थी। जिस हौद मंे ताजा पानी भरा जाता था उसमें छेद थे इसलिए पानी ठहरता नहीं था और बेजुबानों के सामने प्यास से तड़पने का संकट बना रहता था।
इसी तरह गौशाला में गायों को बारिश के पानी से भींगकर सड़ चुका चारा खिलाया जाता था। मनरेगा के अंतर्गत बांध का निर्माण दर्शाया गया है लेकिन धरातल पर इसका कोई कार्य कराये बिना मजदूरी के नाम की रकम निकालकर पंचायत के जिम्मेदार हड़प गये। ग्रामीणों के मुताबिक मनरेगा की हकीकत यह है कि कई जाबकार्ड धारक मजदूरी भी हासिल कर रहे हैं और वृद्धावस्था पेंशन भी ले रहे हैं जबकि यह नियम विरूद्ध है। यह भी आरोप लगाया गया है कि ग्राम सभा की खुली बैठक नहीं होती। धंाधलगर्जी के कारण ग्रामों में पक्की सड़क न बनाई जाने से कच्चे रास्तों में कीचड़ भरा रहता जिससे लोगों को आवागमन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। एसडीएम ने कहा कि इन आरोपों को लेकर प्रधान व सचिव के पक्ष की जानकारी करने के बाद आवश्यक कदम उठाये जायेंगे।