20orai02उरई। सर्व शिक्षा अभियान में केंद्र सरकार बजट की बरसात करती है इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की जिंदगी हमेशा दांव पर लगी रहती है। स्कूलों की जोखिम की हद तक खराब दशा का एक बड़ा उदाहरण महेबा ब्लाॅक के कोड़ा किर्राही गांव में देखने को मिला।
उक्त गांव की प्राइमरी पाठशाला के क्लास रूम की एक दीवार साल-ड़ेढ़ साल पहले गिर गई थी। चूंकि स्कूल की इमारत कमीशन खोरी के चलते काफी खराब बनवाई गई थी। इस कमजोरी की वजह से ही इतनी जल्दी कमरे की दीवार गिर गई। लेकिन अगर इसका खुलासा बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी कर देते तो जबावदेही के नाते उनकी नौकरी पर बन आती और निर्धारित समय पूरा न होने की वजह से सरकारी नियमों के कर्मकांड के चलते वैसे भी नई दीवार बनवाने का बजट पास होना संभव नही था। इसलिए आज तक स्कूल की हकीकत कागजों में छिपाई जा रही है।
चुनाव तैयारियों के समय मतदान केंद्र के लिए प्राथमिकता होने की वजह से स्कूलों को चाक-चैबंद किया गया था। इसके बावजूद कोड़ा किर्राही के स्कूल पर किसी अधिकारी की भी निगाह नही गई। नतीजतन बच्चे टूटी दीवार के कारण एक तरह से खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। गांव के लोग जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकर्षित कर रहे हैं तांकि व्यवस्था में सुधार हो सके।

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