
उरई। जिले की राजनीति में मची उथल-पुथल के बीच कांग्रेस पार्टी ने भी अपने सिटिंग एमएलए का टिकट काट दिया है। अमेठी की सीट को लेकर समाजवादी पार्टी से हुए लेनदेन में कांग्रेस पार्टी के हाईकमान ने कालपी की निवर्तमान विधायक उमाकांति सिंह की बलि चढ़ा दी। यह सीट सपा को सौंप दी गई है और झांसी के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राकेश पाल को यहां से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है।
कालपी की विधायक उमाकांति सिंह के टिकट पर शुरू से ही खतरा मंडरा रहा था। लेकिन पहले उनकी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी गई। इससे जिले में कुछ दिनों के लिए पार्टी के अंदर गुटबाजी थमी रही पर आज आखिर में उन्हें अपना टिकट गंवाना ही पड़ गया।
समाजवादी पार्टी में सीएम अखिलेश के हाथ में पूरी कमान आते ही बुंदेलखंड अंचल के उनकी पार्टी के सारे समीकरण बदल गये हैं। राज्यसभा सदस्य चंद्रपाल सिंह यादव के दिन शिवपाल रिजीम में बेहद गर्दिश में रहे थे। लेकिन जैसे ही उनके मौजूदा गाॅड फादर और सीएम अखिलेश के बैरम खां प्रो. रामगोपाल यादव का अपर हैंड कायम हुआ वैसे ही चंद्रपाल के भी सितारे चमक उठे।
इसी के साथ लंबे अर्से से कांग्रेस की राजनीति में मुकद्दर का सिकंदर बने विनोद चतुर्वेदी का भी जलजला और बढ़ गया। उनके और चंद्रपाल के प्रगाढ़ निजी रिश्ते जग जाहिर हैं। माधौगढ़ सीट को उनकी खातिर छुड़वाने में भी चंद्रपाल ने अहम भूमिका निभाई थी और चर्चा है कि कालपी में भी उनके विरोधी माने जाने वाले सुरेंद्र सरसेला को मात दिलाने के लिए चंद्रपाल ने एक बार फिर अपने प्रभाव का इस्तेमाल सपा में किया।
अमेठी की सीट के लिए प्रियंका गांधी के पूरी ताकत से सामने आने के बाद जब कांग्रेस के हिस्से की एक सीट सपा को ट्रांसफर करने की नौबत आज आई तो कई अन्य सीटों पर जहां कांग्रेस जीती नही थी उन पर निगाह दौड़ाई गई लेकिन अचानक सपा ने कालपी की सीट कांग्रेस से मांग ली और कांग्रेस के नेताओं ने सहज में ही इसकी रजामंदी भी दे दी। इधर सुरेंद्र सरसेला के खेमे में मातम का माहौल छा गया है तो बसपा के पूर्व विधायक छोटे सिंह के यहां फिर रौनक बहाल हो गई है। नई परिस्थिति में उनके समर्थकों का विश्वास है कि छोटे सिंह की उम्मीदवारी बसपा हाईकमान अब बरकरार रखेगा।






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